हाँ तो जैसा कि पिछले कुछ सालों से हिन्दुओं के अमूमन हर पर्व त्यौहार और पर्व त्यौहार उत्सव ही क्यों , बिंदी ,साड़ी , चूड़ी से लेकर हिन्दुओं से जुड़ी हर बात में मीन मेख निकाल कर उसे कोसने और सरकारों द्वारा तुष्टिकरण और चाटुकारिता में इन सब पर तरह तरह के प्रतिबन्ध लगाने की रवायत को इस साल भी निभाया जाना है।

राजधानी दिल्ली में दशहरा और दीपावली आते ही ,प्रदूषण के विरूद्ध आम आदमी पार्टी और उनके मुखिया का मुख्य कार्य -दुसरे राज्यों पर पराली जला कर प्रदूषण फैलाने का आरोप लगाना , रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ़ जैसे हाहाकारी प्रयोगों की शुरुआत और फ़ौरन से भी जल्दी दशहरा ,दीपावली और छठ भाईदूज आदि हिन्दू उत्सवकाल में तरह तरह के शोर शराबे प्रपंच से एक बेतरतीबी का माहौल खड़ा किए रहना।

शराबखाने से लेकर डिस्को बीयर बार तक सब चाक चौबंद खुले हुए हैं , सिर्फ खुले ही नहीं हैं बल्कि इन पर बेतहाशा भीड़ भी बदस्तूर जमा होकर दिल्ली की अर्थव्यवस्था में सहयोग कर रहे हैं। इससे कोरोना का दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है।

रोज़ दिल्ली में बसे और चलाए जाए रहे अवैध कारखाने , लोगों की गाड़ियों और ऐसी से निकलता जहरीला धुआँ और यदि एक मिनट को केजरीवाल जी के आरोप को भी ले लिया जाए तो पडोसी राज्यों की पराली के धुएँ से पूरी दिल्ली की आबो हवा पहले ही प्रदूषित और बेहद खराब हो

वहाँ बड़ी ही आसानी से पटाखों को भी प्रतिबंधित किया जा सकता है और सहिष्णु हिन्दुओं को भी – हिन्दुओं और उसमें भी बिहार और उत्तरप्रदेश निवासी -की वे छठ पर्व पर सूर्य को अर्घ्य देने घाट पर न जाएं। वे मान भी जाएँगे और इत्तेफाकन फिर भी उन्हें असहिष्णु कह कह कर बदनाम किया जाता रहेगा।

कोरोना काल में ऐसी सभी सामाजिक व्यवस्थाएं देख रहे विशेषज्ञ भी मान और कह रहे हैं कि – कोरोना महामारी निर्देशों के अनुपालन में जितना अधिक हिन्दू पर्व त्यौहारों को किया जा रहा है उतना अन्य के साथ नहीं। फिर निराश हताश भी क्यों हो न ?? अब जब सारी सुविधा और सारी परम्परा भास्सप ,ट्विट्टर और फेसबुक पर ही निभा /,आना ली जा रही है सफलतापूर्वक तो। बस हैप्पी दिवाली , हैप्पी दहशहरा ,हैप्पी छ्ठ। …….

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.