स्वर्ग नरक
 हिन्दू धर्म में ये दो शब्द बहुत प्रचलित व महत्वपूर्ण हैं  लेकिन अभी तक इनको कोई भी परिभाषित नहीं कर सका है क्यों कि मृत शरीर बता नहीं सकता जीवित व्यक्ति अज्ञानी है
यदि जीवित रहते हुए इस धरा पर आपको सुख का अनुभव है तो स्वर्ग कहा जा सकता है यदि दुःख है तो वह नरक की श्रेणी में आता हैइससे अधिक कुछ नहींस्वर्ग नरक सुख दुःख ये एक दूसरे के ही पहलू हैं

*** डॉ पाँचाल

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