जब भी देश में कहीं भी विपदा आती है ,जैसे बाढ़ ,भारी वर्षा, प्राकृतिक आपदा अन्य किसी प्रकार की विपदा, तब एक संगठन ऐसा है जो बिना स्वार्थ भाव ,ना दिन देखे ना रात उनकी सेवा में लग जाता है ,कोरोना महामारी जैसी समस्या में जहाँ पूरा भारत घरों में कैद था तब भी यह संगठन बिना स्वार्थ नीति के बिना जान की चिंता किए लोगो की सेवा में लगा रहा ।ऐसे संगठन का नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जिसके स्वयंसेवक बन्धु जहाँ कहि विपदा आती वहाँ सब से पहले पहुँच जाते ,तथा उनकी मदद में लग जाते है , हर समय विरोधियों की आलोचना सहने वाला संघ ,अपने समाजिक कार्यो में अनवरत लगा रहता न जाने विरोधियों द्वारा क्या-क्या नाम से पुकारा जाने वाला राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े लोग अपने कार्य मे अनवरत लगे रहते है है मगर सच तो यह है कि प्राकृतिक आपदा आने पर प्रभावित क्षेत्रों में जितना स्वयंसेवक सक्रिय होकर पीड़ितों की मदद करते हैं, उतनी सहायता शायद ही कोई और संगठन करता हो।
बात करे थोड़े दिन पहले की तो केरल में आयी प्राकृतिक आपदा से भयावह हुई स्थिति के मद्देनजर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शहर के भिक्षाटन अभियान के तहत धन संग्रह कर केरल आपदा राहत कोष में राशि भेजने का अभियान चलाया था इसके जरूरत मद लोगो की मदद के साथ साथ भोजन की व्यवस्था भी की ओर जरूरतमंद तक भोजन के पैकेट भेजे ,तथा इस समय संघ के 20 हजार से ज्यादा स्वयंसेवक सक्रिय थे । इसके बाद जहाँ जहाँ विपदा आई वहां संघ के स्वयंसेवक मदद के लिए आगे आये इसके बाद चाहे कर्नाटक में आई बाढ़ हो या अन्य जगह कहि भी हो ।
अभी बात करे कोरोना सकंट की , जिसने भारत के लोगों को संकट में डाल दिया है। इस महासंकट से निजात पाने में दुनिया की बड़ी-बड़ी शक्तियां धराशायी हो गईं या स्वयं को निरुपाय महसूस कर रही हैं,थी ऐसे समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं उसके स्वयंसेवक अपनी सुनियोजित तैयारियों, संकल्प एवं सेवा-प्रकल्पों के जरिये कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जरूरतमंदों की सहायता के लिये मैदान में थे तथा ‘नर सेवा नारायण सेवा’ के मंत्र पर चलते हुए देश के 529 जिलों में 30 लाख से अधिक स्वयंसेवक हर स्तर पर राहत पहुंचाने में जुटे थे एंव अलग-अलग हिस्सों में गरीब और जरूरतमंदों को भोजन खिला रहे हैं थे, बस्तियों में जाकर मास्क, सेनेटाइजर, दवाइयां एवं अन्य जरूरी सामग्री बांटकर कर लोगों को राहत पहुंचा रहे हैं थे, एंव लोगो को कोरोना के प्रति जागरूक कर रहे हैं थे । वे इस आपदा-विपदा में किसी देवदूत की भांति सेवा कार्यों में लगे हुए थे ।
उनके लिए खुद से बड़ा समाज था । उनकी संवेदनशीलता एवं सेवा-भावना की विरोधी भी प्रशंसा करने से स्वयं को रोक नहीं पा रहे थे । सेवा-भावना, उदारता, मानवीयता एवं एकात्मकता संघ की जीवनशैली एवं जीवनमूल्य हैं। संघ के अनुषांगिक संगठन सेवा भारती तथा संघ से जुड़े अन्य संगठन भी सेवा भाव के संकल्प के साथ सेवा में लगे रहते है ।निहित स्वार्थों के वशीभूत वामपंथी मीडिया मुगलों के द्वारा एक विशेष चश्मे को लगाकर एकपक्षीय दुष्प्रचार संघ को लेकर को लेकर किया जाता रहा । लेकिन इन सब दुष्प्रचारों से बेपरवाह संघ अपना कार्य करता रहता है । देश के सभी प्रांतों में सेवा भारती के माध्यम से विभिन्न तरह के सेवा भाव के प्रकल्प चल रहे हैं, जिनसे 20 लाख से अधिक परिवारों तक सीधी सहायता किसी न किसी रूप में कार्यकर्ताओं द्वारा पहुंचाई जा रही है।
अभी बात करे वर्तमान की जहाँ पूरे देश मे कुछ राजनीतिक स्वार्थ लोग हाथरस जैसी घटना या अन्य घटना पर राजनीति कर रहे है और अपना दोगलापन दिखा रहे उस समय यानी इसी समय हैदराबाद में बुधवार को अचानक आई तेज बारिश में कई लोगों की मौत हो गई है। भारी बारिश के कारण शहर में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। सड़कों में पानी भरने से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है और काफी भारी मात्रा में संपत्ति का नुकसान हुआ है। बारिश के कारण आई बाढ़ में सैकड़ों कारें बह गईं जबकि कई भरी वाहन भी बाढ़ में तैरते दिखे ।
(फ़ोटो साभार – सेवा भारती तेलगांना ट्विटर एकाउंट से)
उसी समय हर समय आलोचना का सामना करने वाला संघ उनकी मदद के लिए निस्वार्थ भाव से लगा हुआ हैआरएसएस से जुड़ी सेवाभारती नाम की संस्था ने ट्विटर पर कुछ वीडियोज ओर फ़ोटो डाली हैं। इनमें देखा जा सकता है कि स्वयंसेवक घर-घर जाकर लोगों को खाने पीने का सामान मुहैया करवा रहे हैं। तथा उनकी लगातार मदद कर रहे है बिस्किट, राशन, कंबल, पका खाना, तिरपाल, पानी की बोतलें, कपड़े, बर्तन और फर्स्ट एड किट्स आदि बांट रहे है
(फ़ोटो साभार – सेवा भारती तेलगांना ट्विटर एकाउंट से)
कुछ लोगो को पानी से निकाल रहे है ,जरूरतमंद को उनके स्थान तक छोड़ रहे ,उनकी हरसम्भव मदद कर रहे है ।संघ की सेवा भारती ही ऐसी संस्था है जो कोरोना से लेकर आज बाढ़ में लगी हुई ।जब अधिकांश लोगों को यह तक ज्ञात नहीं कि हैदराबाद बाढ़ जैसी मुसीबत से गुजर रहा है, उस समय आरएसएस के स्वयंसेवक अपनी जान को खतरे में डालकर लोगों की बुनियादी जरूरतों को उन तक पहुँचाने का काम कर रहे हैं।
– पवन सारस्वत मुकलावा
कृषि लेखक ,
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