पिछले कुछ दिनों से इंटरनेट संसार में लोगबाग व्हाट्सएप के विकल्प के रूप में signal और telegaram को डाउनलोड कर रहे हैं। असल में ऐसा , व्हाट्सएप और उसका स्वामित्व रखने वाली कंपनी फेसबुक पर उपयोगकर्ताओं की जानकारी अन्य कंपनियों के साथ साझा करने और व्हाट्सएप की प्रस्तावित नई नीति के कारण हो रहा है।
असल में हुआ ये की अभी कुछ दिनपहले ही सबको व्हाट्सएप सन्देश द्वारा उनके नए निर्देशों नियमों के अनुपालन को स्वीकृति देने की सहमति वाला पॉपअप सन्देश दिखा। यूँ भी व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम के स्वामित्व अधिकार फेसबुक के पास होने के कारण और वैसे भी बहुत से प्रश्न और विवाद खड़े होते रहे जिनमे सबसे अहम् था उपयोगकर्ताओं की जानकारी बिना उनकी सहमति के वाणिज्यिक उद्देश्य की पूर्ति हेतु साझा करना।
जैसा की स्वाभाविक है रिक्त स्थान को भरने के लिए विकल्प की उपलब्धता अब कहीं अधिक है। लोगों ने रातों-रात signal नामक एक सोशल चैटिंग एप को न सिर्फ download किया बल्कि उसका उपयोग और पूरे घटनाक्रम की चर्चा पूरे अंतरजाल पर होती रही।
बहुत कम समय में बहुत अधिक उपयोग किए जाने वाले लोकप्रिय एप व्हाट्सएप के बंद होने , आउटडेटेड हो जाने या सबके द्वारा उसे छोड़े जाने या सबके द्वारा उसे छोड़े जाने की बातें भी घूमने लगीं।
वैसे अनुभव ये कहता है कि ,बस थोड़ी देर की होती है ये हलचल। orkut , google plus , google buzz आदि जैसे दर्जनों सोशल नेट्वर्किंग एप्स ने अपने अपने समय पर उपयोगकर्ताओं के बीच अच्छी पैठ बनाई थी , मगर धीरे -धीरे लोगबाग उनका नाम भी भूल गए।
ऐसा ही कुछ देर सवेर तकनीक के साथ होता ही है। नई तकनीक पुरानी की जगह ले लेती है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर जब चीन एप्स को प्रतिबंधित करने के बाद देसी एप को विकसित करने के लिए युवाओं को विशेष प्रयास करने का आग्रह किया गया।
ऐसे समय में ,कितना अच्छा हो यदि भारत में स्थानीय मेधा द्वारा भारतीय परिवेश और भारतीयों की जरूरत के अनुकूल इन एप्स को विकसित किया जाए। वैसे पिछले कुछ समय में ,टूटर , कू ,योरकोट्स और इस जैसे जाने कितने ही एप्स भारतीय युवाओं द्वारा तैयार करके बाज़ार में उतारा गया है जो धीरे धीरे लोकप्रिय भी हो रहे हैं।
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