नरेंद्र मोदी की आंखों से समझिए गुलाम नबी और हामिद अंसारी का फर्क
गुलाम नबी आजाद जिन्होंने जीवन भर नरेंद्र मोदी के विरोध में राजनीति की है। वह गुलाम नबी आजाद जो कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते हैं और 10 जनपथ के खास बताए जाते हैं।
गुलाम नबी आजाद जिन्होंने जीवन भर नरेंद्र मोदी के विरोध में राजनीति की है। वह गुलाम नबी आजाद जो कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते हैं और 10 जनपथ के खास बताए जाते हैं।
आज संसद में गुलाम नबी आजाद के बारे में बोलते हुए मोदी जी का गला रुंध गया। भावनाओं के आगे शब्द जैसे कम पड़ गए… यही मोदी जब हामिद अंसारी की संसद से विदाई के समय भाषण दे रहे थे तो मोदी का आक्रोश और निराशा हामिद अंसारी के प्रति जैसे साफ झलक रही थी।
हामिद अंसारी के बारे में बोलते हुए नरेंद्र मोदी ने इशारों इशारों में उन्हें देश के खिलाफ काम कर रही ताकतों के हाथों में खेलने वाला खिलौना तक साबित कर दिया था.. उस वक्त कई लोगों ने यह कहा कि क्योंकि हामिद अंसारी मुसलमान है इसलिए नरेंद्र मोदी ने उनके बारे में इतने आक्रोश के साथ सदन में अपनी बात रखी।ऐसे सभी लोगों की गलतफहमी आज उस समय दूर हो गई होगी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुलाम नबी आजाद के कार्यकाल के विषय में बोलना शुरू किया।
गुलाम नबी आजाद जिन्होंने जीवन भर नरेंद्र मोदी के विरोध में राजनीति की है। वह गुलाम नबी आजाद जो कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते हैं और 10 जनपथ के खास बताए जाते हैं। वह गुलाम नबी आजाद जो देश में मुस्लिम राजनेताओं के एक चेहरे के रूप में पहचाने जाते हैं।वह गुलाम नबी आजाद जो जम्मू कश्मीर में कांग्रेस के मुख्यमंत्री रहे हैं जब धारा 370 पूरी तरह से जम्मू-कश्मीर पर लागू हुई थी। नरेंद्र मोदी ने जब गुलाम नबी आजाद के बारे में बोलना शुरू किया अपने अनुभव साझा करने शुरू किए तब ऐसा लग ही नहीं रहा था कि कोई प्रधानमंत्री विपक्ष के किसी नेता के बारे में बात कर रहा हो।
कांग्रेस पार्टी की तरफ से सोनिया गांधी और राहुल गांधी या कोई भी अन्य नेता भी शायद गुलाम नबी आजाद के बारे में इतनी गंभीरता से और इतने विस्तार से बात सदन में नहीं रख सकता था जिस प्रकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सदन में रखी। बोलते बोलते जब गुजरात के नागरिकों का जम्मू में फंसे होने का जिक्र आया तो नरेंद्र मोदी भावुक हो उठे।एक क्षण ऐसा भी आया जब नरेंद्र मोदी ने गुलाम नबी आजाद की तरफ हैट्स ऑफ का इशारा किया और उनकी सादगी को भरे सदन में सार्वजनिक तौर पर नमन किया।
स्पष्ट नरेंद्र मोदी ने जब हामिद अंसारी के कुकर्म को सदन की संसदीय भाषा की मर्यादा में उखाड़ना शुरू किया था तब वह किसी मुसलमान के खिलाफ नहीं बोल रहे थे बल्कि एक ऐसे व्यक्ति के खिलाफ बोल रहे थे जिसका चरित्र देश के हितों के खिलाफ रहा।मोदी का आक्रोश हामिद अंसारी के मुसलमान होने के प्रति नहीं था बल्कि हामिद अंसारी के देश के प्रति समर्पित ना होने और देश विरोधी शक्तियों के हाथ में खिलौना बनने के प्रति था, वही मोदी जब गुलाम नबी आजाद के बारे में बोले तब भी वह किसी मुसलमान या विपक्ष के नेता के बारे में नहीं बोल रहे थे बल्कि सत्ता में और विपक्ष में होते हुए भी देश के प्रति समर्पित रहने की भावना को संसद में नमन कर रहे थे और बाकी सांसदों को एक तरह से सीख दे रहे थे कि किस प्रकार का व्यवहार आपको मोदी के द्वारा भी नमन के योग्य बनाता है।
आज का नरेंद्र मोदी जी का गुलाम नबी आजाद के प्रति दिया हुआ विदाई भाषण भारत के संसदीय इतिहास के अविस्मरणीय फलों में गिना जाएगा विश्व भर में संसद और संसदीय परंपराओं की जब भी चर्चा होगी संसद की मर्यादा और लोकतंत्र के स्वरूप पर जब जब विचार किया जाएगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का आज का उद्बोधन हमेशा एक सीख के तौर पर प्रस्तुत किया जाएगा।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.