सोच कर देखिए एक पल को , सिर्फ थोड़ा सा पीछे जाइये , कोलकाता ,सहित पूरे पश्चिम बंगाल में तो राज्य की मुख्यमंत्री ने अपने प्रदेश में “जय श्री राम ” के जयघोष को ही सबसे बड़ा राजद्रोह घोषित किया हुआ है . पुलिस और प्रशासन का तो कहना ही क्या जब स्वयं मुख्यमंत्री ही जय श्री राम भर सुन कर न सिर्फ अपने आपे से बाहर हो जाती हैं बल्कि हर बार राम नाम के प्रति अपने द्वेष का सार्वजनिक प्रदर्शन करके अपना वोट बैंक भी पक्का करती रहती हैं . और इसी कट्टर चरमपंथी सोच के तुष्टिकरण का ही परिणाम है कि पूरा बंगाल आज हिंदुओं के रक्त से रंजित दिखाई देता है .
कभी हिन्दू हृदय सम्राट का गढ़ रहा महाराष्ट्र , राजधानी मुंबई भी सिर्फ सत्ता सुख और शक्ति के लिए पाला बदलते ही कुछ ऐसी हो गई कि पास से दिन में पाँच बार सुनाई देने वाली अजान को थोड़ा सा धीमा करने की गुजारिश करने वाली हिंदू बच्ची को परिवार सहित अपना घर छोड़ कर भाग जाने की धमकी झेलनी पड़ती है और राज्य सरकार के नुमांइदे अजान पढ़ने की प्रतियोगिता प्रोत्साहन देने की घोषणा करके मामले में अपने राजनैतिक रोटियां सेंकते हैं . साधु से लेकर अभिनेता तक की हत्या/मृत्यु तक पर अपना मुंह सिल कर बैठी सरकार देश के पक्ष में अपना समर्थन जताने वाले देश ही नहीं कला और अभिनय जगत के दिग्गजों पर जांच बिठा देती है .
राजधानी दिल्ली की तो बात ही क्या कहें ?? जिन जिन पर भी दंगों का आरोप लगता है /लगा है , राजद्रोह से लेकर कई अन्य गंभीरतम अपराधों में संलिप्तता रही और हर बार ही पीड़ित/पीड़िता के बदले आरोपी या अपराधी के समर्थन में पक्षकार बन कर सरकार और उसके मुखिया खुद ही खड़े हो जाते हैं . प्रदर्शन , धरना , हिंसा सब करने के लिए प्रस्तुत . और हो भी क्यों न ?? जब राज्य के प्रशासक स्वयं कहते हैं , हाँ मैं अराजकवादी हूँ तो असल में वो अपनी वही पुरानी तुष्टिकरण की राजनीति करते हुए अपने वोट बैंक का विश्वास हासिल कर रहे होते हैं .
एक अहम बात और यह कि चूंकि अब शहरों में समाज ही नहीं बचा , तो संगठन और एका का न रहना स्वाभाविक ही है . यही कारण है कि पांच सौ हज़ार के मुहल्ले में भी 25 आकर किसी एक को घर से घसीट कर उसकी हत्या कर देते हैं . लोगों में एके साथ इतनी भी हिम्मत नहीं आ पाती कि वे एक दूसरे की मदद को आगे आ सकें . हैवान संदेश दे रहे हैं कि वे तो ऐसे ही मारेंगे , बच सको , खुद को बचा सको तो बचा लो .
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