हमला रिंकू शर्मा की पीठ पर नहीं किया है बल्कि यह हमला 100 करोड़ हिंदुओं की छाती पर किया है
एक आम लड़का अपनी आस्था और अपने विश्वास के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम को अपने जीवन में डाल ले तथा उसके उनके प्रति अपने समर्पण भाव को प्रस्तुत करने के इरादे से अपना कार्य करता है तथा भगवान श्री राम के मंदिर के उद्घाटन से लेकर अभी राम मंदिर के चंदे इकट्ठे करने तक की प्रक्रिया में हर्ष और उल्लास के साथ अपने दैनिक जीवन में से समय निकालकर कुछ समय भगवान श्री राम के चरणों में समर्पित करने हेतु निकालता है तो इसमें क्या गलत करता है हिंदू धर्म के अनुसरण में क्या किसी व्यक्ति को अपने निजी जीवन में से समय निकालकर अपने धर्म की रक्षा सनातन धर्म की रक्षा के लिए कार्य करने का कोई हक और अधिकार नहीं है क्या कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार से अपने जीवन की मौलिक स्वतंत्रता का अधिकार नहीं ग्रहण कर सकता
इस तरह से सरेआम दिल्ली के रिंकू शर्मा की पीठ पर वार करके उसकी हत्या कर देना वह भी केवल इस वजह से कि वह भगवान श्री राम का परम भक्त था भगवान श्री राम के लिए समर्पित था और वर्तमान में भगवान श्री राम के मंदिर के निर्माण के लिए चंदा इकट्ठा करने का कार्य कर रहा था तथा अपने दैनिक संबोधन में जय श्रीराम के नारे के साथ अपना जीवन यापन कर रहा था क्या महज यह गुनाह था और अगर यह गुनाह है तो फिर हिंदुस्तान के अंदर गंगा जमुनी तहजीब का नारा लगाने वाले तमाम नेताओं के मुंह काले कर देनी चाहिए क्योंकि गंगा जमुनी तहजीब के नाम का हवाला देकर यह जिस प्रकार से कौन के अंदर जहर फैलाने का प्रयास कर रहे हैं यह खूब डरावना है
रिंकू शर्मा की पीठ पर हमला रिंकू शर्मा प्रमिला नहीं है बल्कि 100 करोड़ हिंदुस्तानियों के छाती पर हमला है कौन वादी जहर से ग्रसित ऐसे लोगों ने चीन की मानसिक कुंठा हिंदुस्तान की छाती को लाल करने की है वह इस वाक्य से सामने आ रही है दिल्ली पुलिस का बचकाना बयान किया मामला संप्रदायिक नहीं है धिक्कार है उन की व्यवस्था पर जाएं तरफ रिंकू शर्मा की मां राधा शर्मा खुलेआम चीख चीख कर कह रही है कि मेरे बेटे को केवल इसलिए मौत के घाट उतार दिया क्योंकि वह जय श्रीराम के नारे लगाता था वह राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा इकट्ठा करने के लिए गली-गली घर-घर घूमता था रिंकू शर्मा की मां की जुबानी साफ साफ पता चल रहा है जब रिंकू शर्मा की मां अपने बेटे को बचाने के लिए घर से बाहर आती है तो उन गर्मियों का जो कथन होता है वह यह होता है कि यह बड़ी पंडिताइन बनती है उसको भी बाहर लेकर आओ और फिर उसका गला दबाकर मारने का प्रयास किया जाता है इसके बाद रिंकू शर्मा को जब अस्पताल लेकर जाया जाता है तो वहां पर फिर से उस पर हमला होता है और जब तक रिंकू शर्मा अपनी अंतिम सांस नहीं लेता लेता तब तक यह हत्यारे रिंकू शर्मा के पीछे पड़े रहते हैं और पुलिस प्रशासन कह रहा है कि मामला संप्रदायिक नहीं है यह मामला बिल्कुल सांप्रदायिक है इस मामले में साफ साफ शब्दों में इस बात को बयां कर दिया है कि आज भी कुछ अधर्मी सांप्रदायिकता के नाम पर धर्म के नाम पर हिंदुस्तान की छाती को खून से लाल कर देने का मन में विचार करके चल रहे हैं गंगा जमुनी तहजीब का नारा लगाने वाले तमाम ऐसे नेताओं का मुंह काला करने का समय आ गया है क्यों कोई ऐसा कानून नहीं बनता जिस कानून से ऐसे लोगों को सरेआम फांसी पर लटकाया जाए
जब हत्यारों का नाम इस्लाम, मेहताब, नसीरुद्दीन और जाहिद है तो फिर कौन यह कह रहा है कि यह मामला संप्रदायिक नहीं है यह मामला सरेआम 100 करोड़ हिंदुओं की छाती के ऊपर वार करके इस बात के प्रति डर को कायम करने का मामला है कि आज भी यह जिहादी मानसिकता के लोग हिंदू धर्म के विकास और हिंदू धर्म को किसी भी सूरत में स्वीकार करने के लिए राजी नहीं है
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