देश में कुछ नेता और पत्रकार राजनैतिक बेशर्मी की सारी मर्यादाएं लांघ चुके हैं। किसकी मौत पर इन्हें दर्द होगा और किसकी मौत पर ये चुपचाप तमाशा देखेंगे ये अब मरने वाले के धर्म या फिर जहां वो मरा वहां किसकी सरकार है, इस पर सबकुछ टिका हैं।
नेता तो नेता, अजित अंजुम और राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकार भी इस खुली बेशर्मी के साथ तमाशे पर उतारूँ हैं।
देश मे दो हत्याएं हुई, एक बंगाल में भाजपा विधायक की और एक यूपी में पत्रकार की।
यूपी में पत्रकार के हत्यारें पकड़े जा चुके हैं और बंगाल में जांच भी शुरू नहीं हुई हैं।
लेकिन बेशर्मी देखिये, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बंगाल में विधायक की हत्या पर आज तक एक शब्द नहीं बोला है जबकि वो विधायक कुछ समय पहले तक ममता बनर्जी की पार्टी में ही था। तब भी बंगाल में हुए हत्याकांड पर ममता चुप रही लेकिन यूपी में हुई आपराधिक घटना पर तुरन्त बयान जारी कर दिया।
ऐसी ही खुली बेशर्मी प्रियंका गांधी की तरफ से भी दिखी जिन्होंने बंगाल की हत्याओं पर हमेशा चुप्पी रखी और यूपी में जबसे राहुल गांधी को अमेठी ने हराया है तबसे उन्हें यूपी में सिर्फ बुराई नजर आती हैं। उन्होंने भी बंगाल पर चुप्पी और यूपी पर लगातार बयान देना जारी रखा हैं।
मतलब साफ हैं इन अवसरवादियों को मौत से प्रॉब्लम नहीं हैं, हत्याओं से प्रॉब्लम नहीं हैं, इन्हें केवल राजनीति करनी हैं। लाशों की राजनीति
इसी बेशर्मी में अरविंद केजरीवाल भी कूद पड़े। जहां दिल्ली में बीच कनॉट प्लेस में एक आदमी डूबकर मर गया वहां केजरीवाल को यूपी पर बयान जारी करने का मन कर रहा हैं।
ऐसा लगता है योगी आदित्यनाथ का डर ममता, केजरीवाल और प्रियंका तीनों के सिर चढ़कर बोल रहा हैं।
इन नेताओं से भी ज्यादा बड़ी बेशर्मी की पत्रकार अजित अंजुम ने। अब ये नकली पत्रकार न्यूट्रल दिखने की घटिया एक्टिंग भी नहीं करते। अजित अंजुम ने बंगाल में विधायक की हत्या पर एक शब्द नहीं बोला और यूपी पर पूरा वीडियो बनाकर उनका मृत्यु नाच जारी हैं।
राजदीप सरदेसाई ने भी पुनः वफादारी निभाई हैं और साबित कर दिया हैं कि अब उन्हें पत्रकार कहना पत्रकारिता पर कलंक होगा
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.