मोदी सरकार का ज़रूरी फैसला: जम्मू-कश्मीर से निकाले जाएंगे रोहिंग्या मुसलमान
बता दें जम्मू-कश्मीर में पहला रोहिंग्या 1994 में आया था। इसके बाद 2008-2016 के बीच यहां बड़ी संख्या में रोहिंग्या आकर बस गए थे। जिनकी संख्या उस समय लगातार बढ़ रही थी।
बता दें जम्मू-कश्मीर में पहला रोहिंग्या 1994 में आया था। इसके बाद 2008-2016 के बीच यहां बड़ी संख्या में रोहिंग्या आकर बस गए थे। जिनकी संख्या उस समय लगातार बढ़ रही थी।
अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के बाद रोहिंग्या समस्या भारत देश के सामने मुंह बाये खड़ी हो गई है। अब जाकर सरकार इस समस्या के प्रति गम्भीर हो रही है। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर (Jammu kashmir) से रोहिंग्या मुसलमानों को वहां से निकालकर बाहर करने का प्लान तैयार कर लिया है। इसके लिए यहां रह रहे रोहिंग्या का ब्यौरा जुटाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यहां कररीब 6523 रोहिंग्या रहते हैं कि जिन्हें केंद्र सरकार या तो वापिस म्यांमार या फिर आबादी से दूर डिटेंशन सेंटर बनाकर रखने का प्लान कर रही है।
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर (Jammu kashmir) से रोहिंग्या मुसलमानों को वहां से निकालकर बाहर करने का प्लान तैयार कर लिया है। इसके लिए यहां रह रहे रोहिंग्या का ब्यौरा जुटाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यहां करीब 6523 रोहिंग्या रहते हैं कि जिन्हें केंद्र सरकार या तो वापिस म्यांमार या फिर आबादी से दूर डिटेंशन सेंटर बनाकर रखने का प्लान कर रही है। बता दें सरकार ने 10,000 से ज्यादा रोहिंग्या को वापस भेजने का प्लान बनाया है।
रोहिंग्या मुसलमान सबसे ज्यादा पांच जिलों में जम्मू, सांबा, डोडा, पुंछ व अनंतनाग जैसे जिलों में रह रहे हैं। 2017 में तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इन लोगों का डेटा बेस तैयार करने को कहा था। सरकार अब नए सिरे से इनका डेटा बेस तैयार कर रही हैं। बता दें जम्मू-कश्मीर में पहला रोहिंग्या 1994 में आया था। इसके बाद 2008-2016 के बीच यहां बड़ी संख्या में रोहिंग्या आकर बस गए थे। जिनकी संख्या उस समय लगातार बढ़ रही थी।
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