शिव सेना कार्यकर्त्ता और मुंबई पुलिस में गैर कानूनी तरीके से नियुक्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को NIA ने गिरफ्तार कर लिया है
सचिन वाजे बरसों पहले मुंबई पुलिस की नौकरी छोड़ चुका था और उसके बाद 2008 में वह शिव सेना में शामिल हो गया था-बरसों के बाद जब उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एन सी पी के साथ जोड़ तोड़ करके सरकार बनाई तो उद्धव ठाकरे ने सभी नियम-कानूनों को ताक पर रखकर अपने इस कार्यकर्त्ता को पुलिस में दुबारा से नौकरी दे दी
जिस मनसुख की हत्या का आरोप वाजे पर लग रहा है,उसी मनसुख से सचिन वाजे ने वह स्कार्पियो गाड़ी अवैध रूप से छीनी थी, जो मुकेश अम्बानी के घर के बाहर विस्फोटक सामग्री से भरी बरामद हुई थी. शिव सेना कार्यकर्त्ता और मुंबई पुलिस अधिकारी सचिन वाजे इस छीनी हुई स्कार्पियो गाड़ी का आधिकारिक तौर पर इस्तेमाल कर रहा था और इसी स्कार्पियो गाड़ी से वह देश के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी को गैर कानूनी तरीके से गिरफ्तार करने भी गया था- अर्नब को गिरफ्तार करने के बाद वाजे पर यह भी आरोप है कि उसने सरकार में बैठे अपने आकाओं के इशारे पर अर्नब को बुरी तरह प्रताड़ित भी किया था.
गौरतलब बात यह है कि पिछले 5 महीने से यह गाड़ी सचिन वाजे की कस्टडी में ही थी और इसी गाड़ी को लेकर वह अर्नब को गिरफ्तार करने भी गया था और अब यही गाड़ी मुकेश अम्बानी के घर के बाहर विस्फोटक सामग्री से भरी बरामद होती है तो मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार की इस सारी मामले में साज़िश होने की प्रबल सम्भावना पर सवाल क्यों न उठाये जाएं ?
सचिन वाजे की उद्धव ठाकरे से नजदीकी कोई छिपी हुई नहीं है. शिव सेना का जो कार्यकर्त्ता बरसों पहले पुलिस की नौकरी छोड़ चुका था, उसे उद्धव ठाकरे ने सरकार बनते ही सारे नियम-कायदों को नज़रअंदाज़ करते हुए दुबारा से नौकरी किसी योजना के तहत ही दी होगी. अपने आकाओं को वफ़ादारी का सुबूत देने के लिए सचिन वाजे सुबह सुबह बिना किसी अरेस्ट वारंट के अर्नब को गिरफ्तार करने भी इसी स्कॉर्पियो गाड़ी से उसके घर पहुँच भी गया और अर्नब को गिरफ्तार करने के बाद उसे बुरी तरह से प्रताड़ित भी किया लेकिन अपने मालिकों को खुश करते करते सचिन वाजे यह भूल गया कि मनसुख मामले में वह सिर्फ इसी बात से पकड़ लिया जाएगा कि जिस गाड़ी से वह अर्नब को गिरफ्तार करने गया था, वही गाड़ी मुकेश अम्बानी के घर के बाहर विस्फोटक सामग्री से भरी बरामद होने पर सवाल मनसुख से नहीं, खुद उसी से पूछे जाएंगे-हड़बड़ी में मनसुख की हत्या और उस हत्या को आत्महत्या साबित करने की नाकाम कोशिश से भी सचिन वाजे और महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार सवालों के घेरे बुरी तरह फंस चुकी है, जिनसे बाहर निकलना फिलहान मुमकिन नहीं दिख रहा है
बड़ा सवाल यह भी है कि मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार मुकेश अम्बानी और उसके परिवार को किसके इशारे पर धमकाने की कोशिश कर रहे थे ?
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.