अब जबकि दशकों की लम्बी लड़ाई के बाद सनातनी अपने आराध्य ,मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की युगांतकारी प्रक्रिया का साझीदार और साक्षी बनने जा रहा है तो फिर ,इसके साथ ही काशी और मथुरा में महादेव शिव तथा हरिहर कृष्ण के पूजा स्थलों को भी ऐसे ही मुक्त करके ,नए और विशाल धर्म स्थलों के रूप में विकसित किए जाने को लेकर कटिबद्ध हो जाना चाहिए ” – चक्रपाणि महाराज हिन्दू महासभा |
विश्व भद्र पुजारी पुरोहित महासंघ ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करके यह माँग रखी है कि , क्रूर और दुर्दांत मुगलों द्वारा जानबूझ कर जिन जिन धर्म स्थलों को तोड़ा ,फोड़ा और बिगाड़ा गया उन्हें मस्जिदों ,दरगाहों और कब्रिस्तान तक में बदला गया | अब समय आ गया है कि उन तमाम धर्म स्थलों को गुलामी और हिन्दू मुसलमान द्वेष के बीज की तरह पल्लवित पुष्पित होने के प्रतीकों से मुक्त किया जाए |
इसके विरूद्ध जमायत -उलेमा-ए-हिन्द ने भी सर्वोच्च न्यायालय से यह प्रार्थना की है कि इस तरह की किसी भी याचिका तो सुनवाई हेतु स्वीकृत नहीं किया जाए | किन्तु अदालत ने याचिका को स्वीकृत करते हुए सभी सम्बंधित पक्षों से अपना मत प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किया गया है |
ज्ञात हो कि काशी विश्वनाथ मंदिर की दीवार के साथ ही ज्ञान वापी मस्जिद का स्थित होना, और मथुरा के कृष्ण मंदिर के साथ ही शाही ईदगाह मस्जिद का होना भी ऐसे ही कुछ स्थल हैं जिन्हें सनातन को हर हाल में सौंप दिया जाना चाहिए ,फिर चाहे वो विधिक आदेश द्वारा हो , या अध्यादेश द्वारा |
परिषद ने इन दोनों स्थलों को वरीयता देते हुए पहले इनके लिए संघर्ष के पहले चरण में पूरे देश भर में समग्र चेतना यात्रा की रूप रेखा भी तैयार कर ली थी/है ,जिसे इस कोरोना महामारी के कारण आगे की तिथियों के लिए स्थगित कर दिया गया है |
परिषद् और सनातन समाज का मानना है कि सारे एतिहासिक साक्ष्यों , सामाजिक मान्यताओं और जन आस्था को एकत्रित करके न सिर्फ अयोध्या ,काशी ,मथुरा ही नहीं बल्कि पूरे देश भर के तमाम धार्मिक स्थलों को किसी भी तरह के अतिक्रमण से मुक्त किया जाए |
तो याद रहे सनातनियों
अयोध्या तो झाँकी है ,
मथुरा काशी बांकी है
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