पश्चिम बंगाल -आज दुनिया में फिर एक बार ये नाम पूरी दुनिया में गूँज रहा है , वो भी इसलिए क्यूंकि एक वो सरकार जो दस साल तक वहां पहले ही सत्ता में है और अब तीसरी बार भी सत्ता में आई है इसलिए पिछले दस सालों से हिन्दुओं को प्रताड़ित अपमानित मारने लूटने में जो कसर रह गई थी और अगले पाँच सालों तक अब वहां कौन सा और कैसा कानून चलना और चलाया जाना है सिर्फ ये बताने भर के लिए , उस सरकार की ममता मयी दीदी के चुनाव की हार जैसे महापाप का बदला लेने के लिए पूरे पश्चिम बंगाल को हिन्दुओं के नरसंहार की भूमि बना दिया गया।

कुछ भी लिखने कहने से पहले ये भी कहना उतना ही जरूरी हो गया है कि जिस केंद्र सरकार को पता था और सौ फीसदी पता था की पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव यदि आठ नहीं सोलह चरणों में भी बिना हिंसा के आतंक के बम बारूद के करा लें तो गनीमत थी उस केंद्र सरकार के पास अचानक ही ऎसी कौन सी मजबूरी थी कि चुनाव परिणाम के प्रतिकूल जाने की दशा में संभावित हिंसा के मद्देनज़र केंद्रीय बलों को कम से कम निगरानी के लिए ही रखा जाना आवश्यक क्यों नहीं लगा ???


आखिर ऐसी कौन सी विवशता थी कि चुनाव से पहले ही सबको बार बार ये कहना है कि भाजपा आई तो ये हो न हो मगर ये तो जरूर होगा , होगा ,होता भी है किसको संदेह है , तो जो करना था करते और अगर गरजे थे तो फिर ये जो पूरे प्रदेश में जेहादी उन्माद का क्रूर और वीभत्स नाच चल रहा है उसके लिए कहीं न कहीं आप सब भी दोषी जरूर हैं जो आपसे उपचार तो दूर एक तीखा प्रतिकार तक नहीं किया जा रहा है।

रही बात प्रदेश की मुखिया ममता बनर्जी की तो ये मैं पहले भी लिखता रहा हूँ कि आज भाजपा के अलावा जितने भी दलों के नेता मुखिया आदि हैं वे अपने को कम से कम प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी से अधिक योग्य और गुनी तो जरूर मानते हैं फिर ये तो 22 ईंट रोड़े जुटाने वाली भानुमति दीदी हैं , इन्हें तो सबसे पहले प्रधानमंत्री बनना है। और ऐसी ही हसरत हर कांग्रेसी और गैर भाजपाई मुख्यमंत्री पाले हुए बैठा है इसलिए जब समस्या नहीं होती तो समस्या बना कर और किसी भी बात को समस्या बता कर समस्या खडी की जाती है और जब वो आपदा सामने आती है तो सारी की सारी जिम्मेदारी केंद्र और प्रधानमंत्री पर डाल कर बेफिक्र हो जाने की प्रवृत्ति पाले बैठा है हर कोई।

आज इस महामारी काल में भी इन कुंठित ,हताश , स्वार्थी राजनेताओं की पूरी एक टोली तरह तरह के प्रपंच षड्यंत्र रच रही है , कभी आंदोलन के नाम पर तो कभी चुनाव जीत के नाम पर इस देश के बहुसंख्यक समाज को जबरन निशाने पर लिया जा रहा है। व्यवस्थाओं और नियमों को इरादतन पटरी से उतारने के लिए बाकयदा नकली संघर्ष खड़ा किया जा रहा है। उत्पात उपद्रव दंगे फसादों को इस समय में इसलिए भी जानबूझ कर बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि अभी आपात व्यवस्था में लगी पुलिस इस ओर उलझने से परहेज़ करना बेहतर समझेगी।

हिन्दुओं की मौत -सिर्फ एक खबर होती है और कई बार तो वो भी नहीं और अब तो हमारे मीडिया सोशल मीडिया के वीरों के कारण देश के जलती धधकती चिताओं की तस्वीरों से विश्व में कोई पुरस्कार जीत रहा है तो वो देश जिसका खुद का बनाया हुआ ये जैविक हथियार आज पूरे विश्व के लिए घातक हो गया है वो उन चिताओं की तस्वीरों पर भारत का उपहास उड़ाते हुए खुद ही विश्व पटल पर नंगा हो गया , खैर वो देश तो जन्मजात नंगा है कीड़े मकोड़े खाने वाले जीव मात्र।

पश्चिम बंगाल और केरल इन दोनों राज्यों की स्थति दिनों दिन बदतर हो रही है और ये किसी भी लिहाज़ से देश सरकार और समाज के लिए हितकर नहीं है।

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