कोरोना महामारी का संकट पूरी मानवता के लिए बहुत से मायनों में हाहाकारी और लोगों को दारुण स्थिति में पहुँचाने के लिए जिम्मेदार हो गया। कोरोना की इस नई आई प्रचंड लहर में कोरोना सिर्फ एक व्यक्ति को शिकार बनाने पर नहीं रुका बल्कि परिवार के कई लोगों को एक साथ काल का ग्रास बना कर पूरे परिवार कुनबे का ही विनाश कर डाला।

ऐसे में पिछले दिनों ऐसे बहुत सारे दुर्भाग्यपूर्ण मामले सामने आए जिनमें माता पिता दोनों ही कोरोना का शिकार हो जाने के बाद उनके अल्पायु बच्चे अचानक ही बेसहारा और अनाथ हो गए। कई घरों में तो माँ बाप के अस्पताल से वापस आने का इंतज़ार करते बच्चे तीन तीन दिन तो कई अबोध बच्चे अपने माँ पिता के शव के साथ उनकी मौत के बाद भी वहीँ सदमे की स्थिति में पाए गए।

इन घटनाओं का संज्ञान लेते हुए न्यायपालिका और सरकार ने इस दिशा में फ़ौरन पहल कर दी है। इसके तहत पहली व्यवस्था ये की गई है कि अब बीमार के दाखिले के समय ही यह सूचना नाम पता पूछ लिख कर रखा जाएगा कि किसी आपात स्थिति में बच्चों की जिम्मेदारी या सूचना किसे पहुंचाई जाए।

इस मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए न्यायालय ने देश भर के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के अधिकारियों के लिए विस्तृत दिशा निर्देश जारी करके उन्हें इसमें अहम् भूमिका निभाने की जिम्मेदारी सौंपी है ,

पूरे देश भर में ऐसे बच्चों के लिए लिए अलग से अभी और तुरंत राहत ,सुरक्षा ,संरक्षण ,प्रदान करने के लिए देश के सभी राज्यों के सम्बंधित विभागों अधिकारियों और संस्थाओं को इस दिशा में सिलसिलेवार और नियोजित रूप से काम करने को कहा गया है। शीर्ष अदालत ने राज्यों की उच्च न्यायपालिका की समितियां बना कर उन्हें भी वर्तमान में बच्चों की विशेष सुरक्षा , अपनों के खो जाने के कारण उन्हें हुई भावनात्मक हानि , उन्हें पोषित करने वाले अभिभावकों की मृत्यु के बाद उनके जीवन यापन पर आया संकट आदि के लिए विस्तार से कार्य करने को कहा है

बहुत सी स्वयं सेवी संस्थाओं ,पुलिस , व् सरकार भी अचानक बच्चों के इस तरह से अपने माँ पिता के सुरक्षित संरक्षण से निकल जाने के बाद बच्चों के शोषण , दैहिक शोषण , मानव तस्करी , घरेलु हिंसा , मानव अंगों की तस्करी आदि जैसे गंभीर अपराधों के शिकार बन जाने की संभावना और खतरे के अचानक बढ़ जाने के कारण ये विषय और भी अधिक जरूरी हो गया था।

आप सबसे हमारा यही आग्रह है कि ऐसे कठिन समय में अपने माँ पिता के साए ,प्यार ,सुरक्षा , संरक्षण से अचानक वंचित हो गए मासूमों के लिए आगे आएं। आज वे सबसे ज्यादा डरे सहमे हुए हैं उन्हें हम सबकी जरूरत है। कम से कम ऐसे बच्चों की सूचना उचित व्यक्तियों तक जरूर पहुँचाएँ

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