अल-कायेदा जैसी आतंकवादी संगठनों से संबंध रखने वाली NGO की भारत से विदाई होना निश्चित हुआ

हमारे देश की संस्कृति मे धर्म सनातन है जहां एक तरफ हम विश्व के सभी चराचर जीव जगत के अधिकारों का सम्मान करते वहीं मानवता विरोधी दानवों को दंड भी दिया जाता। मानवों के अधिकारों की रक्षा हेतु बना आयोग जब दानवों का हितैषी बन जाता तो सनातनी उसे मानवाधिकार आयोग नहीं बल्कि दानवाधिकार आयोग कहते हैं। यहाँ एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे दानवाधिकार आयोग की कोई आवश्यकता नहीं है, इसलिए इन लोगों का यहाँ से चले जाना ही उचित है। इस लेख मे आप जानेंगे:

  • फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेग्युलेशन एक्ट (FCRA) क्या है और क्यूँ जरूरी है
  • NGO के नाम चल रहीं देशविरोधी दुकानों के काले कारनामों का खुलासा
  • एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसी संस्थाओं के आतंकवादियों सम्बन्धों का खुलासा
  • भारत मे रहते हुए एमनेस्टी इंडिया की भारत विरोधी गतिविधियों का खुलासा

फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेग्युलेशन एक्ट (FCRA) क्या है:

आप सभी जानते कुछ महीनों पहले खुलासा हुआ था की भारत मे कार्यरत कुछ विदेशी NGO आतंकवादियों को अनुदान दे रही, देशविरोधी तत्वों को उकसा रही एवं धर्म परिवर्तन जैसे समाज विरोधी कार्यों मे लिप्त हैं। इन संस्थाओं को धन देने वाले व्यक्ति भी संदिग्ध हैं एवं ये सभी NGO प्राप्त धन का उपयोग देश विरोधी ताकतों की शक्तियाँ बढ़ाने के लिए व्यय करती हैं। लेकिन विदेशी चंदा (विनियमन) अधिनियम (FCRA) मे नए प्रावधान जुडने से अब इन सभी तथाकथित NGO की मुसीबतें बढ़ गईं, अब ये लोग पहले की तरह स्वच्छंद रूप से काले धन को सफ़ेद कर पाएंगे और ना ही चंदे मे प्राप्त धनराशि का दुरुपयोग। पैसा जिस काम के लिए लिया गया केवल उसी काम के लिए व्यय करना पड़ेगा और इसका पूरा ब्योरा सरकार को देना होगा

वैसे तो FCRA एक्ट वर्ष 1976 मे ही बन गया था, लेकिन उसके प्रावधान काफी लचर थे, कानों मे कई ऐसे छिद्र थे जिसके कारण तथाकथित समाज सेवी कंपनियाँ इस एक्ट का धड़ल्ले से दुरुपयोग करती और मनमाने ढंग से NGO चलाती। ये एक्ट वर्ष 2010 तक ऐसे ही चलता रहा, फिर मनमोहन सिंह ने पहली बार इस एक्ट मे कुछ संशोधन किए। लेकिन वर्ष 2018 मे मोदी सरकार ने फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेग्युलेशन एक्ट (FCRA) मे अभूतपूर्व संशोधन किया, और इसके तहत कोई भी NGO यदि विदेशों से कोई आर्थिक अनुदान लेती है तो FCRA के तहत मंजूरी लेने के लिए कड़े नियम का प्रावधान किया गया। इस संशोधन से अब NGO की कार्यप्रणाली लगभग पूरी तरह से पारदर्शी हो गई है, संक्षेप मे:

  • NGO द्वारा प्राप्त की गई आर्थिक मदद पर लगातार निगाह रखी जा सकती
  • अब NGO को पूरा ब्योरा देना पड़ेगा कि प्राप्त विदेशी धन कहाँ खर्च हो रहा है
  • अनुदान किसी ऐसे व्यक्ति या संगठन को तो नहीं ली गई जिसे FCRA मंजूर नहीं करता
  • अनुदान देने वाला व्यक्ति कहीं किसी आतंकवादी संगठन से तो नहीं जुड़ा हुआ
  • कहीं NGO के माध्यम से काले धन को सफ़ेद तो नहीं बनाया जा रहा (money laundering)

इत्यादि और भी कई प्रावधान किए गए हैं। ये अत्यंत हर्ष का विषय है की अब मोदी सरकार ऐसे कानून बना रही है जो उन NGO पर शिकंजा कसेगा जो अपनी दान राशि का उपयोग राष्ट्र विरोधी ताकतों को बढ़ावा देने मे करते। ऐसी ही एक दानवाधिकार समर्थक तथाकथित NGO एमनेस्टी इंटरनेशनल जिसके तार विश्व के तमाम आतंकवादी संगठनों से जुड़े हुए है, वो आज भारत से अपना बोरिया बिस्तर समेट पलायन करने की फिराक मे हैं। जानिए एमनेस्टी इंटरनेशनल पर कौन कौन से संगठनों की सहायता करने का आरोप है:

एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसी संस्थाओं के आतंकवादियों सम्बन्धों का खुलासा

  • टाइम्स लंदन ने अगस्त 2015 मे खुलासा किया की एमनेस्टी इंटरनेशनल के डाइरेक्टर यासमीन हुसैन का संबंध मुस्लिम ब्रदरहुड एवं हामास जैसी संस्थाओं से है या हरकत अल-मुकावामा अल-इस्लामिया से हाई जो सुन्नी मुसलमानों की एक सशस्त्र संस्था है
  • एमनेस्टी इंटरनेशनल एक अलकामा फ़ाउंडेशन नामक संस्था की आर्थिक सहायता करती थी, इस संस्था का एक संस्थापक अब्दुल-अल-रहमान बिन उमायार अल नूयामी, ओसामा बिन लादेन की संस्था अल कायेदा को आर्थिक मदद करता था साथ ही सीरिया, इराक़, सोमालिया एवं येमेन स्थित उग्रवादी/आतंकवादी संगठनों की भी सहाता करता था।
  • वामपंथी फेमिनिस्ट गीता सहगल कभी एमनेस्टी इंटरनेशनल मे जुड़ी थी, लेकिन जब ये पता लगा की इस संस्था मे तालिबान से सहानुभूति रखने वाले मोज्जाम बेग जैसे लोग है, उन्होने एमनेस्टी से इस्तीफा दे दिया, बाद मे मीडिया मे भी काफी हो हल्ला मचा था
  • इसके अलावा एमनेस्टी इंटरनेशनल इजरायल के देशद्रोहियों का समर्थन करती रही, पालेस्टाइन के आतंक को बढ़ावा देती रही। यहाँ तक की आतंकवादी को सजा से बचाने का भी हर संभव प्रयास करती रही।

एमनेस्टी इंडिया की भारत मे रहते हुए भारत विरोधी गतिविधियों का खुलासा:

  • एमनेस्टी का मानना है कश्मीरी हिंदुओं को कोई हक नहीं की वो मानवाधिकार आयोग मे अपने हक की मांग करें
  • गलवान वैली मे चीनी घुसपैठ को सही बताया, भारत की बजाए चीन का समर्थन किया
  • रोहंगिया घुसपैठियों का समर्थन और उन्हें भारत मे बसाने के लिए अन्तराष्ट्रिय दबाव बनाया।
  • वामपंथियों द्वारा रचित प्रोपगोंडा रोहित वेमुला केस मे UGC को अनावश्यक बदनाम किया,
  • दलित समुदाय को हिन्दू समाज से अलग करने के लिए कई प्रोपगोंडा रचे गए
  • CAA-NRC विरोधियों की आर्थिक सहायता की एवं उनके समर्थन मे अंतराष्ट्रीय प्रचार किया
  • दिल्ली हिन्दू विरोधी दंगों मे पीड़ित हिंदुओं को ही दोषी एवं दंगाई दिखा अन्तराष्ट्रिय समर्थन जुटाया
  • अंकित शर्मा कांड के अपराधी ताहिर हुसैन को सर्वथा निर्दोष घोषित करते हुए मानवाधिकार का रोना रोया
  • भीमा कोरेगांव केस मे माओवादियों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई, पीड़ितों के लिए नहीं
  • जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाये जाने का पुरजोर विरोध किया एवं उग्रवादियों का समर्थन किया
  • उग्रवादियों के मानवाधिकार के लिए भारतीय सेना को विश्व समुदाय मे बदनाम किया
  • ये संस्था कश्मीरी पत्थरबाज़ों का समर्थन करती रही, एवं सेना पर झूठे इल्ज़ाम लगाती रही
  • CAB को ले असम मे आग लगाई, ये प्रसारित किया की ये RSS का हिन्दुत्व अजेंडा है
  • सेना ने जब लश्कर ए तोयेबा के विरुद्ध ऑपरेशन किया तो ये आतंकवादियों के दानवाधिकार की मांग करते
  • इस दानवाधिकार आयोग ने हमेशा भारतीय सेना पर मानवाधिकारों का हनन करने का आरोप लगाया

जैसा की वामपंथियों की आदत है, गुनाह करते रहो, पकड़े गए तो शरीफाई का ढ़ोल पीटो, इसी तर्ज पर जाने से पहले इस संस्था ने भारत सरकार पर निहायत ही बेहूदा आरोप लगा दिये और इस NGO के समर्थन मे मानवाधिकार के बदले दानवाधिकार की दुहाई देने वाले वो तमाम लोग आ गए। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आरोप लगाया की भारत सरकार मानवाधिकार आयोग समर्थित इस NGO के प्रति बदले की भावना रखती एवं सत्ता की ताकत का दुरुपयोग कर उनकी अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता छीन रहे। अपनी वैबसाइट पर एक ऐसी भ्रामक क्रोनोलोजी बनाई जो ये दर्शाती है की 2014 से ही इस NGO को परेशान किया जा रहा क्यूंकी वो देश के अल्प संख्यकों के हित के लिए लड़ती है। मिथ्या दावों से भरपूर इनके ट्वीट के कुछ ही मिनटों बाद एक ट्वीटर यूजर ने एमनेस्टी इंटरनेशनल की पूरी क्रोनोलोजी की धज्जियां उड़ाते हुए 15 ट्वीट का थ्रेड बनाया जिसमे इन लोगों के एक एक अजेंडे को दुनिया के सामने लाया गया।

आप सभी मित्रों से अनुरोध है, इस लेख एवं इस थ्रेड को जरूर पढ़ें और इसे इतना प्रसारित करें ये तथ्य सभी भारतियों तक पहुंचे और लोग एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसी तमाम NGO की असलियत को जानें, मानवाधिकार की बातें करने वाले किस प्रकार दानवाधिकारी बन देश मे नाना प्रकार की समाज विरोधी गतिविधियां चला रहे, इसका पता सभी को चलना जरूरी है।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.