बात बात पर केंद्र सरकार को कोसने वाली उस पर आरोप लगाने वाली और फिर बार बार अपनी माँग और सिर्फ माँग रखने वाली और सबसे गंभीर ये कि दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी के नाम पर किए गए अपराध में अपने साथियों की संलिप्तता के बावजूद भी ऑडिट कराने से मना करने वाली दिल्ली सरकार के लिए एक और बुरी खबर है। अब उसे ऑडिट भी करवाना होगा और एक एक सिलेंडर के एक एक कतरे की हवा का हिसाब भी देना होगा। मुंह फाड़ कर टीवी पर माँगने के लिए पूरा होमवर्क भी करना पडेगा।
आज केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर चल रहे वाद में सूचित किया कि , पूरे देश में अस्पतालों को ऑक्सीजन आवंटन और आपूर्ति की चली आ रही प्रणाली में मौजूदा संकट को देखते हुए सुधार परिवर्तन तीव्रता आदि की जरूरत है इसलिए एक विशेष्ज्ञ समिति का गठन कर उसे ये सारा काम सौंप दिये जाने विषयक सुझाव पर अमल करते हुए एक समिति का गठन कर दिया है। समिति के सदस्यों के नाम
पूरे देश भर में ऑक्सीजन की कमी , उसकी कालाबाजारी , आवंटन में आ रही कठिनाइयों , किसे कितना कब देना है और उसके उपयोग का सारा ब्यौरा हिसाब किताब कैसे लेना है , गैस निर्माता कंपनियों , ढुलाई मालवाहकों रेलवे आदि से समन्वय सहित सारे काम देखेगी।
सरकार और न्यायालय के इस निर्णय के बहुत दूरगामी प्रभाव होंगे , ये इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्यूंकि देर सवेर कोरोना की तीसरी लहर के आने का भी अनुमान लगाया जा रहा है और स्वयं न्यायालय ने भी सरकार से उसकी विशद योजना के बारे में जानना चाहा था।
अदालत ने समिति से आग्रह किया है कि वो तत्काल काम शुरू कर दे और नई अनुसंशाओं और निर्देशों के आने तक मौजूदा प्रणाली से ही आवंटन और वितरण होगा।
सूचना स्रोत : साभार , इंडियन एक्सप्रेस
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