अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के पश्चिमी हिस्से में शनिवार को एक स्कूल के नजदीक हुए बम धमाके में कम से 70 लोगों की मौत हो गई है, जिनमें से कई युवा बालिका विद्यार्थी शामिल हैं।
रॉयटर्स के मुताबिक मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक अरियान ने बताया कि इस धमाके में कम से कम 200 लोग घायल हुए हैं, इनमें ज्यादातर स्टूडेंट हैं। ये एक ज्वाइंट स्कूल है, जिसमें लड़के और लड़कियां दोनों की पढ़ाई होती है. इसमें स्टूडेंट्स तीन शिफ्ट में पढ़ाई करते हैं. इसमें सेकंड शिफ्ट में लड़कियों की पढ़ाई होती है. शिक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता नजीबा अरियान ने बताया कि मृतकों में ज्यादाकर छात्राएं हैं।
बड़ा सवाल उठता है कि आखिर यह किस मानसिकता के लोग हैं जो स्कूली बच्चों पर हमला करते हैं और जघन्य नृशंस तरीके से उनकी हत्या कर देते हैं। आखिर कब तक कट्टर मजहबी विचारधारा के लोग इस तरीके से मारकाट मचाकर धर्म विशेष को शांति का मजहब बताते रहेंगे? गौरतलब है कि यह हमला शिया बहुल इलाके में किया गया है और वहां के स्थानीय निवासी इसके पीछे सुन्नी कट्टरपंथी ताकतों के हाथ होने का अंदाजा लगा रहे हैं।
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