इतिहास को छोड़िए जो आंख से देख रहे हैं आइये उसी की बात करते हैं। बीते पंद्रह बीस सालों में एक बार भी ऐसा नहीं दिखा जब इजराइल ने आगे बढकर गाजा या वेस्ट बैंक पर हमला किया हो। शुरुआत हमेशा फिलिस्तीनी मोमिनों की तरफ से होती है जैसे इस बार हुई।
फिर इजराइल तो मानों इंतजार करता रहता है कि बस शुरुआत तुम करो, बाकी खत्म हम कर देंगे। इस बार भी यही हो रहा है। फिलिस्तीन की तरफ से जो रॉकेट दागे गये उसमें चंद इजराइली नागरिक मरे लेकिन जब इजराइल ने पलटवार किया तो अब तक 150 फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।
फिर वही रोना धोना। देखो इजराइल हमको मार रहा है। बच्चों और महिलाओं की तस्वीरों के जरिए लोगों का भावनात्मक शोषण। लेकिन अब दुनिया नब्बे के दशक वाली नहीं है। इंटरनेट का युग है। तत्काल लोगों के पास दोनों ओर से सूचनाएं पहुंच रही हैं इसलिए दुनिया भी देख समझ सकती है कि कौन क्या कर रहा है।
जहां तक इस्लामिक दुनिया की बात है तो वह सिर्फ लानतें भेज सकते हैं। हमास को तुर्की और ईरान सपोर्ट करते हैं। ईरान के रहने पर तो एक बार सऊदी अरब राजी हो भी जाए लेकिन जहां तुर्की रहेगा वहां सऊदी अरब या कोई दूसरा सुन्नी अरबी साथ नहीं जाएगा। इस बार भी यही हो रहा है। मतलब वहां सुन्नी सुन्नी एक साथ नहीं हैं क्योकि दोनों की सभ्यताएं अलग अलग हैं और यहां कुछ लोग छाती पीटकर अबाबील बने जा रहे हैं कि बस अभी गये और इजराइल को नेस्तनाबूत करके रख देंगे।
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