आज यदि किसी राज्य में नेतृत्व की बदनीयती और धूर्तता के कारण , कोरोना महामारी का प्रसार और परिणाम सबसे भयानक है तो वो है राजधानी दिल्ली की केजरीवाल सरकार। इसे इस तरह से समझिए कम शब्दों में।

उत्तर प्रदेश में कोरोना मैनेजमेंट की विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की सराहना : नेतृत्व एक योगी के हाथ में
दिल्ली में कोरोना की बदइंतजामी के लिए कोर्ट ने की सरकार की आलोचना : नेतृत्व एक ढोंगी के हाथ में
महाराष्ट्र में कोरोना से हुई सबसे अधिक मौतें , जनता ने लानत भेजी : नेतृत्व एक मनोरोगी के हाथ में

दिल्ली सरकार के मुखिया और उनके साथियों की कारस्तानी की क्रोनोलॉजी को ऐसे समझिये

वर्ष 2020 में देशबन्दी को चरणबद्ध तरीके से खोलने के दौरान सबसे पहले दिल्ली में तमाम शराब की दुकानें और ठेके यह कह कर खोले गए कि इससे राज्य की आर्थिक स्थति ठीक होगी।
जब हालात बेकाबू हुए तो केंद्र सरकार और गृह मंत्री अमित शाह से गुहार लगाने लगे और स्वयं गृह मंत्री ने सेना के साथ मिल कर मोर्चा सम्भाला तब जाकर हालात कुछ ठीक हुए

इसी साल पंजाब के आढ़तियों ने किसान आंदोलन के नाम पर महीनों तक राजधानी दिल्ली को बंधक बनाने के अलावा कोरोना महामारी को बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और केजरीवाल सरकार मोदी विरोध में उनका इस कदर साथ दे रही थी कि जब लोगों के लिए अस्पताल और ऑक्सीजन प्लांट की व्यवस्था करनी थी तब वो बॉर्डर पर ठकैत गैंग को मुफ्त बिजली पानी खाना चखना उपलब्ध करवाने में लगी हुई थी।

महाराष्ट्र में कोरोना का विस्फोट होता देख कर भी , दिल्ली की सघन आबादी को देखते हुए भी आने वाले आपात स्थिति के लिए बिना कोई तैयारी किये सिर्फ और सिर्फ अपने सरकार की झूठी उपलब्धियों को बघारने के लिए मात्र चार महीने में ही 250 करोड़ रुपए सिर्फ विज्ञापन में फूँक दिए।

अब वर्ष 2021 में फरवरी मार्च में जैसे ही दिल्ली में मामले बढ़ने शुरू हुए तो कभी अपने मुहल्ला क्लिनिक को क्रांतिकारी कदम बता कर लंदन अमरीका तक में तारीफ़ बटोरने वाले केजरीवाल और उनकी सरकार ने एक बार फिर से सब कुछ केंद्र सरकार के सर माथे मढ़ दिया।

धीरे धीरे हालत बद से बदतर होते रहे , हजारों मौतें रोज़ होने के बावजूद भी देश के 31 राज्यों में से एकमात्र मुख्यमंत्री जो कहीं भी नज़र नहीं आया न जनता के बीच न ही प्रशासन और न ही अस्पतालों में मगर हर दूसरे मिनट देश के तमाम टीवी चैनलों और अखबारों सहित जाने कहाँ कहाँ सिर्फ और सिर्फ बतोलेबाजी करते हुए। हाथ चमका चमका कर और मुंह बना बना कर आरोप लगाने के लिए , हर चीज़ की कमी का रोना रोते हुए।

देश भर में सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की माँग करते केजरीवाल सरकार के अपने मंत्री , व्यापारी साथी न सिर्फ इन चिकित्स्कीय संसाधनों की कालाबाज़ारी में लग गए बल्कि जीवन रक्षक दवाइयों का अनुचित भंडारण करके इरादतन इनकी कमी पैदा करते रहे और लोग रोज़ाना मरते रहे।

हर बार और हर बात के लिए केंद्र सरकार से मदद मांगते रहने के बावजूद भी लगातार ही केंद्र सरकार पर झूठे आरोप लगाना और बार बार हर चीज़ की कमी का रोना रहना एक प्रवृत्ति बना कर राजधानी दिल्ली की हालत नारकीय कर दी।

अंततः जब बात न्यायालय के पाले में आई तो सारी पोल खुलने लगी। ऑक्सीजन ऑडिट के लिए साफ़ मना करने के बाद अदालती आदेश के आते ही और ऑडिट होने की बारी आते ही जिस ऑक्सीजन की कमी का रोना रोया जा रहा था वो रातों रात अचानक से इतनी हो गई कि दूसरे राज्यों को दान करने की बात करने लगे।

ऑक्सीजन की जानबूझ कर खडी की गई समस्या का हल होते ही अब वे उन वैक्सीन के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं जिन्हें पहले इसलिए नकार दिया गया था क्यूंकि वो मोदी सरकार ने दो कंपनियों को बनाने का आदेश दिया था। और फिर ये भी कि , इतने अथक शोध और गहन परिश्रम से भारतीय चिकित्सा विज्ञानियों द्वारा ईजाद वैक्सीन के फार्मूले को सार्वजनिक करने की बेतुकी माँग।

क्या यह माना जाए कि केंद्र सरकार और न्यायालय से इतर दिल्ली में हुई तमाम मौतों के लिए सिर्फ और सिर्फ केजरीवाल सरकार का नाकारापन ही जिम्मेदार है। एक साल से अधिक से चल रही इस महामारी की भयावहता को देख कर भी न तो एक भी ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण न ही अस्पताल का निर्माण , न ही दवाओं के वितरण की व्यवस्था और तो और गरीबों को मुफ्त राशन की केंद्र सरकार की योजना को भी केजरीवाल सरकार ने किसी न किसी बहाने से पेंच डाल कर फँसा दिया है।

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