झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की मनमानी दिन ब दिन बढ़ती जा रही है. झारखंड में कट्टरपंथी किस तरह से सरकार की छत्र छाया में फल फूल रहे हैं इसकी बानगी कई बार दिख चुकी है. इसके पीछे कहीं न कहीं झारखंड सरकार की तुष्टिकरण की नीति ही है जो इन कट्टरपंथियों को और शह दे रही है . इसी तुष्टिकरण का असर अब स्कूलों में भी दिखने लगा है। दरअसल गढ़वा जिले के एक स्कूल में मुस्लिम समुदाय द्वारा स्कूल के प्रिंसिपल पर इस्लामी नियम लागू करवाने के लिए दबाव बनाने का मामला सामने आया है। घटना गढ़वा के मध्य विद्यालय की है। जहां स्कूल के प्रिंसिपल युगेश राम के ऊपर स्कूल में प्रार्थना बदलने का दबाव बनाया जा रहा है।

दैनिक जागरण में छपी रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिम समुदाय ने प्रिंसिपल को कहा कि चुंकि इलाके में उनकी आबादी 75 फीसदी है। इसलिए नियम भी उन्हीं के हिसाब से होंगे। इधर समुदाय के दबाव की वजह से स्कूल की प्रार्थना बदल गई है। पहले यहां ‘दया कर दान विद्या का…’ प्रार्थना बंद कर अब ‘तू ही राम है तू ही रहीम..’ प्रार्थना स्कूल में हो रही है। इसके साथ स्कूल में बच्चों को हाथ जोड़ कर प्रार्थना करने से भी मना कर दिया गया है।

इस पूरे मामले को लेकर बीजेपी ने सरकार पर हमला बोला है, भवनाथपुर से बीजेपी विधायक भानु प्रताप शाही ने हेमंत सरकार से सवाल पूछा है कि सरकार राज्य को किस दिशा में ले जा रही है ?

पिछले कुछ महीनों में झारखंड की हेमंत सरकार की तुष्टिकरण की नीति ने पूरे झारखंड में कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने का काम किया है। आपको याद होगा पिछले साल झारखंड विधानसभा में ‘शांतिप्रिय’ समुदाय के नमाज अदा करने के लिए विशेष कमरा आवंटित किया गया था. वहीं हर जिले में उर्दू भाषा को प्राथमिकता देने की कोशिश की गई है। उसके बाद शिक्षा विभाग की ओर से सभी स्कूलों को हरे रंग से रंगने का आदेश दे दिया गया है। इसी आदेश के कुछ दिनों के बाद स्कूल के सभी बच्चों के पोशाकों का रंग भी हरा करने का आदेश दे दिया गया।

झारखंड सरकार कुछ खास वर्ग को खुश करने में लगी हुई है. जिस तुष्टीकरण की नीति का सहारा लेकर वे राजनीति कर रहे हैं उसका दुष्परिणाम भी सामने आते देर नहीं लगेगी.

 

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