“हम अस्पताल के लिए लड़े ही कहाँ थे ?
हम तो मंदिरों के लिए झगडे थे ?? “
ये जुमला उछाल कर सनातन और हिन्दुओं पर निशाना साधने वालों ने बहुत दिनों तक सोशल मीडिया पर हिन्दुओं , मंदिरों पर , साधु संतों पर और सबसे अधिक हिंदुत्व की आस्था पर कुठाराघात करके नफरत फैलाने वालों को अब ध्यान से अपनी ऑंख कान खोल कर देखना सुनना चाहिए कि हमारे मंदिरों ने इस महामारी काल में अब तक क्या किया और क्या कर रहे हैं :-
इस छोटी सी सूची को देखिये और जानिए :-
और हाँ ये तो बस एक छोटी सी बानगी भर है देश का कोई भी छोटा बड़ा मंदिर , मठ और इनके साथ ही सैकड़ों गुरूद्वारे भी आज इंसानियत पर आए इस सबसे बड़े संकट में प्रभु का हाथ बन कर लोगों की सहायता के लिए सामने आए हैं। जिससे जो बन पड़ रहा है वो बताए बिना बताए दिखाए किए जा रहा अनथक अनवरत। कोई गरीबों के लिए खाने की व्यवस्था कर रहा है तो कोई अस्पतालों और बिस्तरों की , कोई दवा का इंतज़ाम कर रहा है तो कोई ऑक्सीजन की।
ध्यान रहे कि कि मंदिर और गुरूद्वारे हमेशा ही समाज के बीच रह कर समाज के लिए अपना योगदान करते रहे हैं और ये संस्कार , ये संस्कृति ही है कि आपदा विपदा के समय में सरकार ,समाज , प्रशासन अस्पताल के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े हो जाते हैं। बिना इस बात की चिंता किए की देश के ही कुछ राजनैतिक दल और उनके नेता अपनी नफरत में अंधे होकर कुंभ को कोरोना संक्रमण का मुख्य कारण बना पर अपना एजेंडा साधते रहते हैं।
अब थोड़ा सा इनसे अलग उन मस्जिदों और चर्च की भी बात कर ली जाए जिन्हें सनातन हमेशा अपना शत्रु नज़र आता है। एक तरफ जहाँ देश से लेकर दुनिया भर के मस्जिद /मदरसे सिर्फ और सिर्फ एक मकसद पर काम करते हुए दिन रात मज़हबी उन्माद को और अधिक कट्टरता फैलाने के जिहादी काम में लगे हुए हैं तो वहीँ चर्चों का मुख्य उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ धर्म परिवर्तन करना और इसके लिए विदेशों से करोड़ों अरबों रूपए की खैरात लेकर यहाँ कई तरह के अवैध काम करना जैसा रह गया है। पिछले वर्ष केरल के कई चर्च और उनके पादरी करोड़ों रूपए के काले धन के साथ गिरफ्तार किए गए थे।
अब सवाल ये उठता है कि , आखिर ऐसी क्या वजह है , क्या जरूरत है , क्या कारण है कि आप न तो लोगों की सहायता के लिए आगे आएंगे , न ही एक रूपया किसी की मदद के लिए देंगे और जो इस समय और हमेशा से समाज , लोक कल्याण के लिए अपना सर्वस्व झोंक देने को तत्पर होते हैं उन्हें कोसने , गाली देने तक ही नहीं बल्कि यति नरसिंहानंद और इन जैसे तमाम साधु संतों को क़त्ल करने के लिये आमादा हो जाएंगे।
इनकी ये खुशकिस्मती है कि भारत अभी किसी भी तरह से इज़राईल की तरह उग्र राष्ट्रवाद की तरह नहीं बढ़ा है अन्यथा दुनिया देख रही है कि शताब्दियों तक शोषित और प्रताड़ित किए जाने वाले यूहूदी भाइयों ने जब प्रतिकार करने की ठान ली तो कैसी क़यामत और कहर बरप गया है।
जय सनानत। जय हिन्दुत्व। जय हिन्द। जय भारत
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