कोरोना वायरस से फैले संक्रमण की दूसरी लहर ने कई घरों को तबाह कर दिया . जिसकी वजह से कई बच्चों के सिर से मां-बाप का साया उठ गया. इस बीच कई ऐसे भी बच्चे हैं जिनका पूरा परिवार ही इस महामारी में खत्म हो गया है।
ऐसे बिना किसी सहारे और अनाथ बच्चों के लिए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक बार फिर बड़ा मिसाल पेश करते हुए अनाथ बच्चों की मदद के लिए आगे आये हैं. सीएम योगी ने बड़ा फैसला लेते हुए कहा कि यूपी में कोरोना संक्रमण की वजह से जिन बच्चों के माता-पिता का देहांत हो गया है, उनके भरण-पोषण के साथ ही सभी तरह की जिम्मेदारी राज्य सरकार निभाएगी. उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के बीच प्रदेश के भीतर अनाथ हुए बच्चे अब राज्य की संपत्ति हैं.
महिला एवं बाल विकास की प्रमुख सचिव वी. हेकली झिमोमी ने सभी डीएम को लेटर भेजकर आदेश दिया कि वे कोरोना की वजह से निराश्रित हुए बच्चों की पहचान करवाएं. उन्हें आश्रय गृह में पुनर्वासित किया जाएगा या फिर अगर परिवार के ही अन्य लोग इनका भरण पोषण करना चाहेंगे तो उन्हें गोद दिया जाएगा. डीएम को ऐसे बच्चों के बारे में शासन को तो जानकारी देनी ही होगी. साथ ही राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भी सूचनाओं की एक कॉपी मुहैया करवानी होंगी. मुख्यमंत्री ने ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उन्हें सहारा प्रदान करने का निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अब सभी जिलों में ऐसे बच्चों को चिन्हित करने के लिए सर्वेक्षण शुरू किया जाएगा. इनमें वे बच्चे भी शामिल हैं, जिनके परिजनों की कोरोना संक्रमण की जांच नहीं हो सकी, लेकिन माता-पिता का किसी कारण से निधन हो गया. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में ऐसे बच्चों को चिन्हित करने का सिलसिला शुरू हो गया है.
इससे पहले एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी राज्य के बेसहारा बच्चों के लिए बड़ा ऐलान किया है. कोरोना काल में अपनों को खोने वाले परिवार की 5000 रुपये प्रति माह की मदद की जाएगी. सीएम शिवराज ने कहा कि ऐसे बच्चे जिनके परिवार से पिता का साया उठ गया, कोई कमाने वाला नहीं बचा, ऐसे परिवारों को 5,000 रुपये प्रति माह पेंशन दी जाएगी. ऐसे सभी बच्चों की शिक्षा का निशुल्क प्रबंध किया जाएगा ताकि वे अपनी पढ़ाई लिखाई जारी रख सकें.
जाहिर है जिस तरह से कोरोना महामारी ने कई घरों को उजाड़ा है उसमें इस तरह के फैसले वाकई काबिले तारीफ है. अगर इसी तरह का फैसला सभी राज्य सरकारें करें तो बहुत हद तक बेसहारों को सहारा दिया जा सकता है।
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