कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने किस हद तक त्राहिमाम मचा रखा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अलग-अलग क्षेत्र के महारथियों को इस बीमारी ने निगल लिया. इसी कड़ी में एक और शख्स ने दुनिया को अलविदा कह दिया. जी हां पर्यावरण को बचाने के लिए प्रसिद्ध चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा का निधन हो गया। वे कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद ऋषिकेश एम्स में भर्ती थे। ऋषिकेश एम्स प्रशासन ने उनके निधन की पुष्टि की है। सुंदरलाल बहुगुणा ने 93 वर्ष की उम्र में आखिरी सांसे ली। सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर पीएम मोदी ने शोक व्यक्त किया है. वही अमित शाह और योगी आदित्यनाथ ने भी सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर दुख जताया है।
सुंदरलाल बहुगुणा ने 70 के दशक में पर्यावरण सुरक्षा को लेकर अभियान चलाया था , जिसने पूरे देश में अपना एक व्यापक असर छोड़ा. इसी दौरान शुरू हुआ चिपको आंदोलन भी इसी प्रेरणा से शुरू किया गया अभियान था. तब गढ़वाल हिमालय में पेड़ों की कटाई के विरोध में शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाया गया. मार्च 1974 को कटाई के विरोध में स्थानीय महिलाएं पेड़ों से चिपक कर खड़ी हो गईं, दुनिया ने इसे चिपको आंदोलन के नाम से जाना
सुंदरलाल बहुगुणा का जन्म उत्तराखंड के टिहरी के पास एक गांव में 9 जनवरी 1927 को हुआ था. अपने जीवन काल में उन्होंने कई आंदोलनों की अगुवाई की, फिर चाहे वो शुरुआत में छुआछूत का मुद्दा हो या फिर बाद में महिलाओं के हक में आवाज़ उठाना हो.
सुंदरलाल बहुगुणा ने हिमालय के बचाव का काम शुरू किया और उसके लिए ही जिंदगीभर आवाज़ उठाई, यही वजह है कि उन्हें ‘हिमालय का रक्षक’ भी कहा गया. पद्मविभूषण सम्मान के साथ ही कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित बहुगुणा ने टिहरी बांध निर्माण का भी बढ़-चढ़ कर विरोध किया और 84 दिन लंबा अनशन भी रखा था । एक बार उन्होंने विरोध स्वरूप अपना सिर भी मुंडवा लिया था । सुंदरलाल बहुगुणा ने हिमालय और पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए कई बार पदयात्राएं कीं ।
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