जंगल में बंदर ने एक शेर को थप्पड़ मारा। पूरे जंगल में यह खबर फैल गई। जंगल के दूसरे जानवरों को लग रहा था कि अब बंदर की मौत तय है। शेर गुस्से में लाल-पीला था। शेर ने दहाड़ते हुए कहा, ये गुस्ताखी। अबकी बार मार के देख। बंदर उछलता हुआ आया और एक और थप्पड़ मार कर उछलता हुआ वापस एक ऊंचे पेड़ पर चढ़ गया। शेर तमतमाया। कसमसाया। दहाड़ा। उसने बंदर को आखिरी चुनौती देकर कहा- अरे मर्कट अगर इस बार तू मेरे करीब फिर आया तो मैं तुझे जिंदा निगल जाऊंगा। अब तक बंदर शेर के आत्मविश्वास को नाप चुका था। वह ऊंचे पेड़ पर बैठा शेर को दांत दिखा रहा था। शेर की आखरी चुनौती पर बंदर जोर से चीखा और पेड़ की डालियों पर उछलता हुआ शेर की पूंछ पर उछला और उसको पीछे से एक लात मार कर चला गया
इन दिनों शेर के जंगल में एक परदेशी नीले पंखों वाली जादुई चीड़ियां भी बंदर जैसी हरकत कर रही है। मगर शेर की हालात देखकर जंगल के दूसरे जानवर उसकी हंसी उड़ा रहे हैं कि एक मामूली सी चीड़िया शेर को आंखें दिखा रही है।
बहरहाल, जंगल में जानवरों की एक नई नस्ल भी घुस गई है। जंगल का राजा उससे भी परेशान है। वह परदेशी लुंगी नस्ल जंगल में हर जगह फैल चुकी है। वह जंगल में दूसरे आम जानवरों के अधिकारों को छीन रहे हैं। यह नस्ल तेजी से प्रजनन कार्य में जुटी है, जिससे उन्हें संख्या बल मिल सके। संख्या बल के दम पर वह अगले कुछ साल में अपना नेता चुन सकेगा और जंगल के राजा को टक्कर दे सकेगा। लुंगी नस्ल में हरेक के पास दर्जनों संतति हैं। मगर, जब सब कुछ मुफ्त मिल रहा है तो एक दर्जन ही क्यों, दो दर्जन क्यों नहीं? यह नस्ल आपराधिक किस्म की है। दूसरे जानवर इस नस्ल से डरे हुए हैं। मगर इस नस्ल को जंगल की सेकुलरवादी नस्ल का फुल सपोर्ट है। जंगल की उदारवादी, वामपंथी और सेकुलर टाइप की नस्ल ने इस लुंगी नस्ल को जंगल में रोटी, कपड़ा और मकान की वकालात करना शुरू कर दिया है। वह जंगल की अदालत में जंगल के राजा के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही है। जंगल की राजधानी में रहने वाली तथाकथित आम जानवरों के हितों की बात करने वाली बगुला नस्ल ने तो लुंगी नस्ल के लिए मुफ्त वाईफाई से लेकर मुफ्त दाल-चावल की भी व्यवस्था भी कर दी है। इसके लिए वह जंगल के राजा से लड़ाई कर रही है कि लुंगी नस्ल को मुफ्त दाल चावल देने की उसकी योजना में टांग नहीं नहीं अड़ाए। और जंगल का राजा है कि बस…हैरान और परेशान है।
ऐसा नहीं है कि राजा सिर्फ इन परदेशी नस्लों से ही परेशान है। वह अपने ही जंगल के छोटे से हिस्से सुंदरवन की खुंखार बिल्ली से भी परेशान है। बिल्ली के बच्चे हर दिन शेर के शावकों को नोंच रहे हैं। उन्हें मार कर खा रहे हैं। शावक चिल्ला रहे हैं। मगर शेर खामोश है। शेर के शावक बिल्ली और उसके बिलौटों को उसी परदेशी जादुई चिड़िया के पंख पकड़कर डराने की कोशिश तो करते हैं मगर, जैसे ही बिल्ली झपट्टा मारती है, शावक दुबककर छिप जाते हैं। बिल्ली फिलहाल शेर के कई शावकों पर झपट्टा मारने की फिराक में है। जंगल में राजा के विरोधी जानवर मिलकर सुंदरवन की बिल्ली को जंगल का राजा बनाने की भी योजना बना चुके हैं। हालांकि जंगल के गुट निरपेक्ष जानवरों के मुताबिक जंगल में फैली अजीबों गरीब बीमारी के कारण जंगल का राजा परेशान है।
जंगल के राजा के आत्मविश्वास को जगाने के लिए राजा के विश्वासपात्र जानवर हर सुबह चिल्लाते हैं- फुल मेजोरिटी वाले राजा हाफ विल पावर से कैसे अपना इकबाल बुलंद करेगा। कुछ नाचीजों के सामने अगर जंगल का राजा घुटनों पर आ जाएगा तो जंगल में उसका क्या इकबाल रह जाएगा। इन विश्वासपात्र जानवरों को उम्मीद है कि जल्द ही जंगल के राजा का आत्मविश्वास लौट आएगा।
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