भारतीय सेना के जवानों को खाद्य और राशन आपूर्ति के निर्धारित नियमों में वर्ष 2018 में एक परिवर्तन किया गया था। 1 अप्रैल 2018 से पहले सेना को ज़िंदा चिकेन की आपूर्ति की जाती थी , जिसे सैनिक अपने मेस में स्वयं की काटते और पकाते खाते थे , किन्तु अप्रैल 2018 के बाद से खाद्य मानकीकरण के नाम पर सेना को फ्रोजन चिकेन की आपूर्ति का नियम बना दिया गया ,क्यूँकि पहले की प्रकिया Food Safety and Standard Authority of India (FSSAI) के अनुरूप नहीं थी।
ज्ञात हो कि वर्तमान में नियमानुसार एक सैनिक को प्रतिदिन 170 -180 ग्राम तक चिकेन भोजन में दिया जाना जरूरी है , जिसकी आपूर्ति FSSAI प्रमाणित केंद्रों/भंडार गृहों से की जाती है। सेना प्रति वर्ष हज़ारों टन माँस की खरीद इन केंद्रों से करती है। वर्ष 2018 से नियम में बदलाव के बाद सेना 26 ऐसे केंद्रों से फ्रोजन चिकेन की आपूर्ति करवाती है।
किन्तु इन सबके बीच , हालिया महीनों में सेना के कुछ अधिकारियों ने पाया कि FSSAI के मानकीकरण के नाम पर आपूर्ति किए जाने वाले फ्रोजन चिकेन हलाल सर्टिफिकेट वाले हैं , जो एक बेहद गंभीर बात है। सूत्रों की माने तो पिछले दिनों सेना के कई संवाद समूहों में इस बात की जानकारी ,भनक मिलते ही रोष है क्यूंकि हलाल मीट का प्रयोग हिन्दू ,सिक्ख आदि धर्मों में प्रतिबंधित है तथा इसका प्रयोग मुख्यतः मुस्लिम मज़हब के लोग करते हैं।
उत्तरी क्षेत्र के कुछ सेना अधिकारियों की मानें तो चंडीगढ़ एवं लद्दाख क्षेत्र की फौजी छावनियों में स्थानीय मंडी व केंद्रों से जिस फ्रोजन चिकन की आपूर्ति की जा रही है वो हलाल सर्टिफिकेट वाली हैं। इस बात की तस्दीक करने के लिए अधिकारी द्वारा जन सूचना अधिकार के तहत जानकारी भी माँगी गई है जो अभी तक प्राप्त नहीं हो पाई है।
इतना ही नहीं अधिकारियों ने पंजाबा , हरियाणा और उत्तरप्रदेश के मंत्रियों एवं राज्यपाल को भी पत्र लिख कर आग्रह किया है कि वे इन तमाम केंद्रों व भंडार गृहों को आदेश /निर्देश दें कि वे स्पष्ट लिख कर सूचित व प्रदर्शित करें कि उपयोग में लाया जाने वाला माँस -हलाल है या झटका। इस पर अभी तक कोई उत्तर अधिकारियों को प्राप्त नहीं हुआ है।
लेकिन यदि ये सत्य है तो ये न सिर्फ जवानों की धार्मिक आस्था और मान्यताओं के साथ गंभीर छेड़छाड़ है बल्कि हलाल सर्टिफिकेट के गोरखधंधे को मान्य करने जैसा भी है। सरकार एवं सम्बंधित एजेंसियों को अविलम्ब इस पर ध्यान देकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
आलेख में जानकारी और चित्र -साभार -TRUNICLE -से लिया गया है।
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