कोई इसी बात से अंदाज़ा लगा सकता है कि -जब एक तरफ पूरी दुनिया दो सालों से , चीनी वैज्ञानिकों द्वारा इंसानियत को ख़त्म करने वाले जैविक हथियार -कोरोना महामारी के कारण पहले से ही जाने कितने मासूम निर्दोष लोगों को खो चुकी है और अब भी ये सब रुकने ख़त्म होने के आसार नहीं नज़र आ रहे हैं ऐसे में भी , इन हालातों में भी -कुछ हैं ऐसे जो -इंसान से हैवान होकर , मज़हब और कट्टरता के नाम पर पूरी दुनिया में कत्लो गारद मचाने पर आमादा है।
अमेरिका के कायरना फैसले ने जहाँ एक तरफ अफगानिस्तान में अपने बंकर बुर्कों में बीस सालों तक चूहे की तरह छिपे बैठे तालिबानियों को एक बार फिर से वो मौक़ा दे दिया कि जब हैवानियत और पशुता -इंसानियत को लूट खसोट कर ,नोंच कर मार कर एक क्रूर अट्टाहास कर रही है। आज तालिबानियों ने -धीरे धीरे विकास और निर्माण की तरह बढ़ते हुए अफगानिस्तान और अफगानियों दोनों को ही नर्क के सामान बना कर रख दिया ही। मगर पूरी दुनिया तमाशबीन बनी सब कुछ देख रही है और तो और खुद मुग़ल कौम भी अपनी ही कौम के कट्टर मज़हबियो के खिलाफ एक शब्द बोलने की हिम्मत नहीं दिखा रहे। उलटा तुर्की जैसे कट्टर देश से लेकर अरब जैसे उदारवादी सोच वाले सभी देशों ने तालिबानियों से दूरी बना ली है।
लेकिन तालिबान , ISISI , लश्कर , आदि जैसे तमाम आतंकी गुटों संगठनों में से किसी की भी बढ़ती ताकत फिर कैसे दुनिया भर के सिरफिरे तैमूरों , औरगंजेबों के दिमाग पर एक फितूर की तरह नाच रही है इसका उदाहरण ही अभी हाल में दुनिया ने रूस में देखा। जब सिर्फ 18 साल का तैमूर ,बंदूक लेकर अपने ही स्कूल/कालेज के अपने ही सहपाठियों को क़त्ल कर देता है। यही है वो परिवर्तन , यही है वो आहट ,यही है वो चेतावनी जिसे दुनिया को बहुत ही गंभीरता से लेना चाहिए।
भारत में भी एक वर्ग बहुत तेज़ी से तैमूर , औरंगजेब बनने को आतुर है और सोचने वाली बात ये है कि उसे पता है बहुत अच्छे से पता है कि तैमूर और औरंगजेब का चरित्र ,जीवन, सोच कैसी थी – और शायद यही वजह है कि वही मज़हबी कटटरता वही क्रूरता देखने और दिखाने समझाने के लिए ये वर्ग खुद और अपनी संतानों को आज तैमूर और तालिबान बनाने की राह पर है।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.