झारखंड से हाल के दिनों में कई ऐसी खबरे सामने आयी हैं जिससे झारखंड सरकार का हिंदू विरोधी चेहरा कई बार उजागर हुआ है, कभी झारखंड की हेमंत सोरेन की सरकार मुस्लिमों को विधानसभा में नमाज के लिए अलग से कमरा आवंटित करती है तो कभी दिन दहाड़े हिंदु लड़के रुपेश पांडे की खास समुदाय द्वारा हत्या पर चुप्पी साध लेती है . ये तो सिर्फ कुछ ही उदाहरण है हेमंत सरकार की तुष्टीकरण की .
इसी कड़ी में एक बार फिर जगन्नाथपुर पश्चिमी सिंहभूम जिले से एक खबर सामने आयी है जहां जगन्नाथपुर पॉलटेक्निक कॉलेज में हिंदू नव वर्ष का जश्न मना रहे दो छात्रों को निलंबित कर दिया गया है. इसके पीछे कॉलेज प्रशासन का जो तर्क सामने आया है उसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. प्रबंधन का कहना है कि इन छात्रों ने अनुशासन तोड़ा है इसलिए इनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए इन्हें दो दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया गया है. वहीं इस मामले में एक छात्र को निष्कासित करने की भी बात सामने आ रही है. हालांकि इसकी अधिकारिक पुष्टि नही हुई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक घटना 2 अप्रैल की है.
हिंदू नव वर्ष मनाने पर छात्र को निलंबित कर दिया गया । हेमंत सरकार शुरू से ही हिंदू विरोधी है और इस रवैये का जवाब सरकार को चुनाव में मिलेगा । इस हिसाब से राज्य की सरकार 31 दिसंबर को जश्न मनाऐ तो राज्य सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए । @HemantSorenJMM pic.twitter.com/2Y8WR4Kkt7
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) April 4, 2022
दरअसल दो अप्रैल की दोपहर पॉलटेकनिक कॉलेज छात्रावास के कुछ छात्र हॉस्टल की छत पर हिंदू नव वर्ष मना रहे थे साथ ही भारत माता की जय के नारे भी लगा रहे थे. जिसके बाद कॉलेज प्रशासन ने दो छात्रों के निष्कासन की सूचना नोटिस बोर्ड पर लगा दी. इस नोटिस में ये भी लिखा था कि जांच रिपोर्ट आने तक हो-हल्ला करने वाले छात्रों की क्लास स्थगित रहेगी .
वहीं इस पूरे मामले में जगन्नाथपुर पॉलटेकनिक कॉलेज के प्राचार्य लीपापोती करते हुए कहते हैं कि बेवजह इस मामले को तूल दिया जा रहा है. दो अप्रैल को हॉस्टल की छत पर कुछ छात्र हल्ला मचा रहे थे. जब मुझे जानकारी मिली तो मैं हॉस्टल पहुंचा और तभी मुझे दो लड़के हल्ला मचाते दिखे, जब मैंने उनसे इसका कारण पूछा तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया जिसके बाद मैंने दो छात्रों को दो दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया है.
फिलहाल इस पूरे मामले जांच चल रही है लेकिन ये बात किसी से छिपी नहीं है कि झारखंड में किस तरह से हिदुओं के त्योहारों को टारगेट किया जाता है , चाहे वो रामनवमी हो या फिर छठ पूजा. आखिर में एक सवाल हेमंत सरकार के लिए है कि अगर 25 दिसंबर और 31 दिसंबर को जश्न मनाने की आजादी है, देर रात तक सड़कों पर हो-हल्ला करने की पूरी छूट है तो फिर आखिर हमारे ही पर्वों से इतनी परेशानी क्यों कि उसे लेकर इतना बड़ा बखेड़ा खड़ा किया जाता है ?
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