वर्ष 2019 के अंत में एक अनजान वायरस पूरी दुनिया में फैलता है और तबाही मचाने लगता है। भारत भी इसकी चपेट में आकर 2020 के शुरूआती महीनों में इसकी पहली लहर का शिकार होता है। भारत जैसे विशालतम जनसंख्या वाले कम सजग , साक्षर देश के लिए ये एक बहुत बड़ी आपदा बन कर सामने आता है। भारत की चिकित्स्कीय व्यवस्था कभी भी इतनी ज्यादा दुरुस्त नहीं रही कि ऐसी आपदाओं के लिए तैयार हो।

नतीजा मौतों का सिलसिला और इस रोग से लड़ने के तमाम उपायों पर काम शुरू हो जाता है। देशबन्दी से लेकर अन्य पाबंदियों , परहेज़ , व्यवस्था सभी दिशा में और इसके साथ साथ काम शुरू हो जाता है इसकी दवाई बनाने का , ध्यान रहे कि इस बीमारी के प्रसार और प्रभाव के आकलनकर्ताओं ने भारत के लिए दवाई न खोज सकने और बीमारी के बेकाबू हो जाने से 7 करोड़ मौतों की भविष्यवाणी कर दी थी। बहुत सारी कमियों , देरियों और कानून न मानने के नागरिक कुसंस्कारों के बावजूद भी धीरे धीरे ही सही ये सब निर्णयाक नियंत्रक हो जाने जैसी स्थिति में भारत पहुँच रहा था। इस बीच पूरी धमक के साथ भारत ने इस महामारी के शुरूआती दौर में पूरी दुनिया की चिकित्स्कीय मदद करने के अलावा इसकी वैक्सीन बनाने की घोषणा भी कर दी।

दुर्गा पूजा , दीपावली , छठ , सरस्वती पूजा , क्रिसमस , दशहरा सहित सब कुछ परहेज़ और प्रतिबंधों के बीच ही सही , मगर सब कुछ निभा लिया गया। अगला साल यानि वर्ष 2021 की शुरुआत में एक समय वो आ गया जब इस बीमारी ने अपना मुँह छिपा लिया। ठीक इसी समय भारत ने एक नहीं दो दो ऎसी वैक्सीन तैयार कर दीं जिन्हें आज विश्व में अन्य देशों द्वारा बनाई गई अन्य सभी वैक्सीन से अधिक कारगर माना गया है।

अचानक से महाराष्ट्र में इस नई लहर का प्रकोप शुरू होता है और बहुत कम समय में ही बहुत अधिक संक्रमण रफ़्तार से ये पूरे देश में दौड़ चलता है। लेकिन इस बीच एक नया और बेहद खतरनाक बदलाव इस बीमारी के पीड़ितों में देखा और पाया जाने लगा।

जहाँ पहले लक्षण दिखने में ही ये 14 दिन तक का समय ले रहा था वहाँ अब ये बहुत अधिक तीव्र और घातक होकर किसी को भी सँभलने का मौक़ा दिए बगैर उसे किसी शिकार की तरह अपने जाल में लेकर ,ऑक्सीजन सोख कर उस व्यक्ति को निष्प्राण करने लगा। यहाँ से भारत की स्थिति दिनों दिन दारुण और नियंत्रणहीन होने जैसी हो गई। जो अब भी जारी है और अगले कुछ दिनों में इसका प्रकोप और भी चरम पर जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

सवाल ये है कि , आखिर क्या और क्यों ऐसा हुआ कि भारतीयों की जिस प्रतिरोधी क्षमता , गर्म मसालों का सेवन , कोरोनिल जैसी दवाइयाँ सब एक साथ ही यकायक ही बेअसर हो उठीं ??

भारत को तोड़ने , झुकाने, पराजित करने के लिए पड़ोस के दो दो शत्रु राष्ट्र ऐसे जो किसी भी हद तक जा सकते हैं खासकर पिछले दिनों घटी घटनाओं के बाद तो जरूर ही , और उनमें भी एक वो देश जो खुद इस बीमारी को जन्म देकर आज निश्चित बैठा हुआ है और आज दुनिया कोरोना के जिस रूप को पहचान कर पुकार रही है उसे नाम दिया गया है -इंडियन वेरिएंट। यानी चायनीज़ वायरस को पीछे करके इंडियन वेरिएंट को आगे लाया जा रहा है।

दुनिया भर की दवा कंपनियों के भारत में व्यापार करने के मंसूबों पर फिरा पानी , और भारत का यूँ विश्व नायक के रूप में उभर कर आगे निकल आना भी बहुत से प्रभावशाली देशों को नागवार गुज़रा , पिछले ही दो सालों में पहले CAA के विरूद्ध आंदोलन और अब किसान बिल के विरूद्ध आंदोलन जैसे जबरन खड़े किए गए मुद्दों की आड़ में व्यवस्था को कमज़ोर करने का प्रयास ,और इन सबके बीच इन सबकी वजह से ही भारत के साथ किसी तरह के जैविक हथियार के प्रयोग की आशंका को बल मिल रहा है। बहरहाल फिलहाल एक ही ध्येय होना जरूरी है और वो है जान बचाना , एक एक जान बचाने के लिए जान लड़ा देना।

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