कांकर पाथर जोरि कै मस्जिद लई बनाय.
ता चढि मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय
कबीर के इस दोहे का अर्थ है, क्या अपने ‘खुदा’ को आवाज़ देने के लिए बांग देने की जरूरत पड़ती है?
दरअसल आज से छह सदी पहले कबीर ने यह सवाल पूछ कर अपने समय में धर्म के नाम पर जारी पाखंड से पर्दा हटाया था . और पाखंडियों को बेनकाब किया था, लेकिन पिछले दिनों यह मसला नए सिरे से उछला था जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस बारे में एक अहम फैसला सुनाया. अदालत ने कहा था कि अज़ान अर्थात प्रार्थना के लिए आवाज़ देने की बात इस्लाम का हिस्सा है लेकिन वही बात लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के बारे में नहीं कही जा सकती, लिहाजा रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक किसी भी ध्वनिवर्द्धक यंत्र के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी जा सकती.
एक बार फिर ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में सामने आया है , जहां इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की वीसी की तरफ से अजान को लेकर उठाए गए सवालों पर अब सियासी बवाल शुरू हो गया है. कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने प्रयागराज के डीएम को चिट्ठी लिख कहा है कि मस्जिद की अजान से उनकी नींद में खलल पड़ता है, ऐसे में एक्शन लिया जाए.
संगीता श्रीवास्तव ने 3 मार्च को डीएम को चिट्ठी लिखी थी. जिसमें उन्होंने कहा कि अजान के कारण उनकी नींद टूटती है और इसके बाद उनके काम में खलल पड़ता है. इसी को लेकर पूरा विवाद हो रहा है. कुलपति की चिट्ठी पर डीएम का कहना है कि उचित कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि, कुलपति ने अपनी चिट्ठी में साफ किया है कि वो किसी भी संप्रदाय, जाति या वर्ग के खिलाफ नहीं हैं. लेकिन एक कहावत का जिक्र करते हुए कहा कि आपकी स्वतंत्रता वहीं खत्म हो जाती है, जहां से मेरी नाक शुरू होती है. डीएम को लिखी चिट्ठी में प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने अपील की है कि अजान बिना लाउडस्पीकर के भी हो सकती है, ताकि किसी दूसरे व्यक्ति की दिनचर्या पर उसका असर ना पड़े. उन्होंने कहा कि अभी ईद से पहले सहरी का ऐलान भी सुबह चार बजे ही होगा, ऐसे में इससे भी परेशानी बढ़ सकती है.
प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने अपने पत्र में लिखा है कि भारत के संविधान में सभी वर्ग के लिए पंथनिरपेक्षता और शांतिपूर्ण सौहार्द की परिकल्पना की गई है, साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश (पीआईएल नंबर- 570 ऑफिस 2020) का हवाला भी दिया है. इस बारे में डीएम भानु चंद्र गोस्वामी ने नियमानुसार कार्रवाई की बात कही है.
ये पहली बार नहीं है जब लाउड स्पीकर पर होने वाली अजान के खिलाफ किसी ने शिकायत की है. इससे पहले अप्रैल 2018 में बॉलीवुड सिंगर सोनू निगम भी इस मुद्दे को उठाने के बाद विवादों में आ गए थे. उन्होंने एक सीरीज में कई ट्वीट कर स्पीकर पर होने वाली अजान पर सवाल उठाए थे. उन्होंने इसे जबरदस्ती करने वाली धार्मिकता बताया था. इसके लिए लोगों ने उनके खिलाफ भी आवाज उठाई थी और उनकी मानसिकता को असंवेदनशील और अपमानजनक करार दिया था. हालांकि उस वक्त जावेद अख्तर ने खुलकर नका समर्थन किया था, जावेद अख्तर ने ट्वीट कर लिखा था, ‘इस बात को रिकॉर्ड में रखा जाना चाहिए कि मैं सोनू निगम सहित उन सभी से पूरी तरह सहमत हूं, जो चाहते हैं कि लाउड स्पीकरों का इस्तेमाल मस्जिदों द्वारा नहीं किया जाना चाहिए.’ हालांकि, उन्होंने केवल मस्जिद नहीं, बल्कि किसी भी धार्मिक संस्थान जैसे मंदिर, गुरुद्वारा, आदि द्वारा लाउड स्पीकर के उपयोग को गलत बताया था.
इसके अलावा आप सभी को याद होगा कि ‘चर्च ऑफ गॉड इन इंडिया वर्सेस केकेआर मैजेस्टिक कालोनी वेलफेयर एसोसिएशन एण्ड अदर्स, 1999, मामले में दक्षिण के पेण्टकोस्टल चर्च का यह मुकदमा चर्चित रहा है. यूं तो चर्च के अन्दर लाउडस्पीकर लगाने की परम्परा नहीं है, लेकिन जब दक्षिण के चर्च ने इसका इस्तेमाल शुरू किया तो वहां के कुछ लोगों ने कोर्ट की शरण ली थी. निचली अदालत में हार मिलने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, वहां पर भी चर्च को मात खानी पड़ी.
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.