मामला वही रटा रटाया है कि , सालों दशकों तक , सरकारी संपत्ति , निजी घर बार दफ्तर सड़क हर जगह मज़हब की आड़ में जमीन जिहाद के मामलों की शिकायत , बार बार इन सबके विरूद्ध कार्रवाई करने का आग्रह ,प्रार्थना पत्र देने के बाद भी जब राज्य की स्थानीय पुलिस कुछ भी नहीं कर पाती तो फिर कुछ स्थानीय युवक एक दिन मन बना कर इसका विरोध करने के लिए इकट्ठा होते हैं।
बस इसी समय स्थानीय पुलिस अपनी बहादुरी दिखाते हुए , न सिर्फ इन युवकों को धमकाती है , आँखें दिखाती है बल्कि सवाल जवाब से अलग फिर अपना पुलिसिया रौब जमाने के लिए मार पीट भी करती है। अब पुलिस करे भी तो क्या करे , कौन नहीं चाहता आसान रास्ता , आसान काम। पुलिस को भी ये अच्छी तरह पता होता है कि , सड़क से लेकर मुहल्ला और सारी सरकारी जमीन जहाँ जो मिल गया उसी पर मजार मस्जिद तैयार , वो न प्यार मनुहार से हटने वाले हैं न झगडे तकरार।
फिर हिन्दुओं का क्या है , न तो बेचारे लाठी डंडे तलवार पत्थर लेकर निकलते हैं न ही बात बात पर सड़क से लेकर शहर जलाने को तैयार होते हैं। ज्यादा से ज्यादा कभी विरोध प्रदर्शन करने निकले भी तो स्थानीय पुलिस फ़ौरन ही आकर सबको “शांत “कर देती है। हिन्दुओं को बताया समझाया जाता है कि वे तो शान्ति दूत हैं , देखते नहीं कैसे घेरा बना कर तुम्हारे मंदिरों को टूटने से बचाते हैं तो उनकी फैलाई शान्ति को भंग करने का अधिकार किसी को भी नहीं है न पब्लिक को , न ही पुलिस को।
लेकिन अब मामला इतनी आसानी से निबटता नहीं दिख रहा है क्यूंकि एक तरफ तो ये टिहरी की मस्जिद जिसका निर्माण अवैध रूप से दखल की गई सरकारी भूमि पर किया गया है उसकी खबर अब पूरे देश और दुनिया को भी ज़रा कस के लग गई है और दूसरी ये कि हिन्दू युवकों पर अपनी बहादुरी छाँटने वाले पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई किए जाने की माँग उठाई जा रही है ।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.