मुख्यमंत्री कुर्सी हासिल करना पायलट की महत्वकांक्षा नहीं, बल्कि हक था क्योंकि कहीं न कहीं जनमत की भी यही मर्ज़ी थी। कांग्रेस से मिले इस झटके को पायलट फिर भी सहन कर गए पर उनमें और गहलोत में उसी वक़्त ही ठन गयी थी जिसके परिणाम स्वरूप प्रदेश की राजनीति आज एक ऐतिहासिक मोड़ पर आ खड़ी हुई है।