अभी कुछ महीनों पहले ही ,किसानों के तथाकथित आंदोलन को सम्बोधित करते हुए क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता योगराज ने सार्वजनिक रूप से न सिर्फ हिन्दुओं सनातनियों की मान प्रतिष्ठा का बल्कि सीधे सीधे हिन्दू स्त्रियों तक के लिए बेहद ही आपत्तिजनक और अपमानजनक बातें कहीं।
ठीक इसी आंदोलन में जिसे बार बार (फिर चाहे अनचाहे वो भारत से पृथक राज्य की माँग और चाह रखने वाले खालिस्तानियों का प्रभाव ही क्यों न हो ) इस तरह से प्रोजेक्ट किया गया मानो पूरा सिक्ख समुदाय जो हिन्दू और हिंदुत्व से कभी अलग नहीं रहा उसे खींच कर बाँट कर अलग करने , दूर करने का प्रयास किया गया , इसी आंदोलन में ” हाय हाय मोदी , मर जा मोदी ” छाती पीट पीट कर प्रधानमंत्री को सीधे सीधे मर जाने तक कोसने वाली स्त्रियां भी मुखर थीं।
लेकिन एक वो , जो बहुत अलग , अकेले , 56 मुल्कों की हैवानियत , क्रूरता , जाहिलपन को ओढ़े हुए है उनकी नज़र में उनके अलावा बाकी सब -सब के सब काफिर हैं इसलिए उन्होंने फिर से अपनी कायरता का सबूत देते हुए , निर्दोष नागरिकों , मासूम इंसानों का क़त्ल करके मानो ये जताने की कोशिश की है कि -वहशत , आतंक , जहालत , जेहाद , सनक अभी ख़त्म नहीं हुआ है।
सनातन अधिकारों और विशेषकर जम्मू कश्मीर पर अपने अध्ययन और सिनेमा के लिए जाने जाने वाले फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री ने आज अपने ट्वीट में इसी तथ्य की ओर इशारा करते हुए बहुत कुछ कह दिया। कंश्मीर घाटी में कायर दहशतगर्द आतंकवादियों द्वारा जिन सिक्ख शिक्षिका/प्राचार्या सतिंदर कौर का क़त्ल किया गया और उनका नाम और सम्प्रदाय पूछने देखने और काफिर पाए जाने के बाद किया गया।
इसी बात को रेखांकित करते हुए फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री ने सवाल उठाया है कि उन सिक्खों को जो हिन्दुओं से खुद को अलग या उन्हें शत्रुवत मानते हैं , और जाने अनजाने कई बार , विशेषकर पिछले दिनों किए गए किसान आंदोलन में तो जरूर ही , जिनका साथ और भाईचारा निभाने को आतुर होते हैं उनकी नज़र में सभी एक ही हैं हिन्दू भी कर सिक्ख भी।
ज्ञात हो की इससे पहले भी 20 मार्च 2020 को जम्मू में सिक्खों का नरसंहार किया गया था जिसमें 35 सिक्ख नागरिकों को मज़हबी कट्टरता के नाम पर मौत के घाट उतार दिया गया था। विवेक ने उस घटना को याद करते हुए उसके समाचार अंश भी अपने ट्वीट के साथ साझा किए हैं
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए वे अगली ट्वीट में आज इस क्रूर ह्त्या के विरोध में हुए प्रदर्शन का समाचार साझा करते हुए उसे विदेशों में रह रहे उन सिक्खों को दिखाने का अनुरोध करते हैं जो वहां से भी भारत के साथ नहीं भारत विरोधियों के साथ खड़े नज़र आते हैं।
मोदी और भाजपा के प्रति पूर्वाग्रह को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करके हिन्दू सिक्ख के बीच भी दरार खींचने की कोशिश करने वाले तमाम लोगों के लिए आतंकयों का ये एक सीधा स्पष्ट संदेश है कि वे भी उनके अपने नहीं हैं वे भी काफिर हैं। 1984 में हुए नरसंहार के सबसे अधिक जिम्मेदार राजनैतिक दल कांग्रेस ही आज खुद को सिक्खों का सबसे बड़ा हितैषी घोषित करने के लिए तरह तरह के प्रपंच कर रहा है .
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