उम्र के आठवें दशक में कैंसर से लड़ते-लड़ते इस किरदार को निभाने वाले शख्स ने अपनी आखिरी सांस ली।नट्टू काका का यह किरदार घनश्याम नायक निभाया और यह हमारे आधुनिक भारतीय बेरोजगारी के परिवेश में एक योग्यता संपन्न परंतु थोड़े से कम या कहें जरूरत से थोड़ा कम योग्यता प्रदर्शन के कारण सरकारी नौकरी के लिए आयोजित प्रतियोगिता परीक्षाओं में पिछड़े हुए नौजवानों और उस नौजवानी के दौर से गुजरते हुए अधेड़ व्यक्ति का सटीक चरित्र चित्रण है। नट्टू काका को अपने से काफी कम शिक्षित ( लगभग हस्ताक्षर करना जानने वाले ) मालिक जेठालाल के मोबाइल शाॅप में काम करते हैं परंतु जैसा कि आजकल के युवा को बताया जाता है अंग्रेजी पढ़ने और बोलने से तरक्की होती है , वह जेठालाल के सामने अपने अंग्रेजी ज्ञान का प्रदर्शन करता ही रहता है । सारी बातें अंग्रेजी में और साथ ही हिंदी में भी समझाता हुआ अपने उस बॉस को जो अंग्रेजी तो कदापि नहीं जानता और अक्षर ज्ञान भी उतना ही है जितना हस्ताक्षर करने के लिए जरूरी है। नट्टू काका अपने मालिक के पास दिलो जान से काम करते हैं और वर्तमान के रोजगार संकट को देखते हुए अपने भतीजे को भी वहीं अपने मालिक के यहां काम पर लगा देते हैं । यह बात निराला की भिक्षुक कविता में लिखी पंक्ति को चरितार्थ करती है कि ” साथ में दो बच्चे भी हैं सदा हाथ में फैलाए, बाँये से वे मलते हुए पेट चलते हैं और दाहिनी दया दृष्टि पाने के हेतु बढ़ाए ।वह आता दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।।”मतलब इस सीरियल में पढ़ लिख कर भी नौकरी ना पाने वाला अधेड़ नट्टू काका एक मोबाइल दुकान में अपना पेट किसी तरह पाल रहा है उसका भतीजा बाघा भी उसी बेरोजगारी के दौर से गुजर कर उसी मोबाइल के दुकान पर काम करने को विवश है । नट्टू काका का विवाह ना करना यह बताता है कि बेरोजगारी में निजी नौकरी करता हुआ एक युवा किसी तरह अपना पेट तो भर सकता है पर परिवार नहीं पाल सकता। बाघा भी बावरी से अधूरा प्रेम तो कर सकता है पर उस वेतन में परिवार बसाने की नहीं सोच सकता। मतलब इस बेरोजगारी की समस्या के कारण अतीत तो अविवाहित रहा पर वर्तमान भी उचित आय के अभाव परिवार बसाने का नहीं सोच पा रहा है। बेरोजगारी की समस्या लगभग १०० साल से जस की तस है, यह बता देता है नट्टू काका का चरित्र । कैसे निजी क्षेत्र का जैसे निजी क्षेत्र का कर्मचारी मैं अपने कार्य क्षेत्र के उच्च पदाधिकारियों की रंगरलियों से भी उदासीन नगर रहकर सिर्फ अपने वेतन वृद्धि पर ध्यान देता है और उसकी जुगाड़ में लगा रहता है नट्टू काका ने भी जेठालाल के माधुर्य भाव को काफी सहजता से इग्नोर किया है और अब तक के अभिनय में नट्टू काका की यही कोशिश यही है कि उनका बॉस जेठालाल उनकी और बाघा की इतनी पगार तो बढ़ा दे की बाघा बावरी से शादी कर सके। पर जेठालाल यानी कि सिस्टम इस पर कोई विचार नहीं करता बल्कि उनके काम में नुक्स निकाल कर उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी देता है और असंतोष को दबा देता है।नट्टू काका आधुनिक शिक्षित बेरोजगार युवा के असफल अतीत का सर्वश्रेष्ठ चरित्र चित्रण है। और इस चरित्र को निभाने वाले घनश्याम नायक ने सचमुच अपने को नायक सिद्ध किया है। तारक मेहता का उल्टा चश्मा सीरियल के दो पात्र मर चुके हैं डॉक्टर हाथी और नट्टू काका। हो सकता है कि नट्टू काका के लिए भी कोई चरित्र ढूंढ लिया जाए या उसी स्थान पर कोई और अभिनेता आ जाए जैसा कि डॉक्टर हाथी के लिए हुआ था तो मेरा एक सवाल रहेगा कि क्या आगे से स्क्रिप्ट राइटर एक ऐसी पटकथा लिखेगा जिसमें जेठालाल नट्टू काका और बाघा की सैलरी बढ़ा दे और बाघा की शादी हो जाए । डॉक्टर हाथी को किसी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर की नौकरी मिल जाए या भिड़े को किसी सरकारी स्कूल में शिक्षामित्र की नौकरी मिल जाए और फिर गोकुलधाम के सोडा शॉप पर इन चार या पांच विभूतियों का वार्तालाप सुनने को मिले।हर युग में सत्य को बताने श्याम का प्रादुर्भाव हुआ है मेरा मानना है कि बेरोजगारी की समस्या को जितनी अच्छी तरह नट्टू काका ने प्रदर्शित किया है उसका कोई सानी नहीं। और इस कालखंड में घनश्याम ने अपने अभिनय से एक गीता लिखी जिसमें बेरोजगारी के प्रभाव को बेहतरीन तरीके से टेलिविजन स्क्रीन पर समझाया।अलविदा घनश्याम। बट द शो मस्ट गो ऑन।पुनश्च…कभी-कभी मुझे लगता है कि नट्टू काका ने जिस समस्या को पर्दे पर उकेरा है , उसका जवाब जेठालाल के चरित्र में है कि अगर कोई युवा पढ़ाई लिखाई को रोजगार का माध्यम न मान कर अपना निजी व्यवसाय करे तो भले वह मूर्ख रह जाए पर शिक्षित नट्टू काका को भतीजे के साथ नौकर जरूर रख सकता है।अब सीरियल वाले सोचते रहेआयो कहां से घनश्याम।।घनश्याम नायक, आप को समस्त दर्शकों की ओर से भावपूर्ण श्रद्धांजलि। आप नायक थे नायक है और नायक बने रहेंगे परंतु रजत पट पर अगर एक बार आपकी भूमिका नायक के नौकर की हो गई तो हो गई, बस आप नौकर ही रहेंगे। यही सच है घनश्याम का सच।

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