वो बंगलूरू का उपद्रव याद है जहाँ , कुछ दरियादिल बहादुर मुगलों ने अपने क्षेत्र में स्थित एक मंदिर को (उपद्रवियों द्वारा तोड़े जाने से बचाने के लिए )ह्यूमन चेंन बना कर उसकी इतनी घनघोर सुरक्षा की , कि गंगा जमुनी तहजीब की मानो सुनामी आ गई । मानवाधिकार से लेकर दानवाधिकार तक वाले सब अपने अपने गले में तख्तियाँ टाँग कर गली गली शहर शहर घूमने लगे।
लेकिन असलियत तो वही है जो बार बार , कभी पश्चिम बंगाल तो कभी बांग्लादेश में देखी और दिखाई जाती है। एक दो नहीं पूरे दर्जन भर से अधिक दुर्गा पूजा पांडालों को पूरे देश भर में उन्मादी मज़हबी हैवानों द्वारा न सिर्फ निशाना बनाया जाता है बल्कि नवरात्रि के इन पवित्र दिनों में अष्टमी नवमी जैसे दिन प्रतिमाओं को तोड़ दिया जाता है। नीचे गिरा दिया जाता है। जेहादी जाहिलों की हिंसक उन्मादी भीड़ एक के बाद एक हिन्दू बस्तियों पर हमला कर रही है , फोटो वीडियोज़ बन रहे हैं मगर कहीं कोई क़ानून कोई पुलिस कोई प्रशासन मौजूद नहीं है।
लोगबाग ट्विटर और फेसबुक समेत तमाम सोशल साइट्स पर सारी घटनाओं की जानकारी साझा कर ,न सिर्फ बांग्लादेश सरकार व प्रशासन से बल्कि भारत से भी मदद की गुहार लगा रहे हैं । लेकिन अफसोस कि , हमेशा की तरह जब बात हिंदुओं से जुड़ी होती है तो मीडिया से लेकर प्रशासन तक सब के सब चुपचाप तमाशाबीन बन जाते हैं।
अफगानिस्तान में जेहादी आतंकयों तालिबानियों के समर्थन में खड़े होकर नारेबाजी करने वाले लाखों भारतीय मुस्लिम मिल जाएंगे , नागरिकता संसशोधन क़ानून के विरोध में बिना मतलब के लाखों लोग खड़े होकर शहर दूकान सब जला कर ख़ाक कर देंगे लेकिन मजाल है जो ऐसी किसी भी घटना या अपराध होने पर कोई भी बड़े से लेकर छोटा मुगलिया भी खुलकर इस बात की निंदा करता हो। कोई आमिर खान , कोई नसीरुद्दीन शाह , कोई महेश भट्ट , कोई राहुल ,प्रियंका कोई भी सामने आकर बोलना कहना तो दूर वे उलटा इन जाहिलों की हरकत को अपने तर्कों से सही साबित करेंगे।
अब ऐसे में मुनव्वर राणा जैसों से पूछा जाना चाहिए कि मियाँ -आपने तब अपने हिसाब से बताया था न कि कि कोई रसूल की शान में गुस्ताखी करेगा तो आप उसे मार देंगे काट देंगे। अब ज़रा यही बात बांग्लादेश के अपने मोमिनों को भी बताइये कि इस जघन्य पाप अपराध को करके वे भी इसी दंड के भागी बनने लायक है या नहीं। आपको तो एक कार्टून भी इतना नागवार गुजरता है कि आप देश दुनिया तक को जला डालने निकल पड़ते हैं लेकिन दूसरों के धर्म और सम्प्रदाय को नष्ट करके जाने कौन सी इबादत करते हैं।
हर साल हिन्दुओं के त्यौहारों पर , जुलूसों व धार्मिक यात्राओं पर जिस तरह से निशाना बना कर हमला किया जा रहा है और जानबूझ कर सद्भाव को बिगाड़ कर दंगे फसाद का रूप दिया जा रहा है उसके लिए बहुत जरूरी है कि सरकार और समाज दोनों ही अपने स्तर से इसके लिए कुछ दूरगामी उपाय सोचें व् करें
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.