केरल हाई कोर्ट ने राज्य की पिनराई विजयन की अगुवाई वाली सरकार पर सख्ती दिखाते हुए पूछा है कि वह मदरसा शिक्षकों को पेंशन देते हुए एक धार्मिक गतिविधि का वित्तपोषण क्यों कर रही है ?  मदरसा धर्म की आड़ में जिहाद के अड्डे होते हैं  , साथ ही मदरसों में गैर सामाजिक गतिविधियों का संचालन होता है । ऐसे में केरल हाईकोर्ट का केरल सरकार से  सवाल करना धर्मनिरपेक्षता, शांति ,समानता जैसे देश की मूलभूत आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करता है । 

हाई कोर्ट ने ये टिप्पणी मंगलवार 1 जून को राज्य में मदरसा शिक्षकों को पेंशन देने के सरकार के पहले के फैसले के खिलाफ एक याचिका पर विचार करते हुए पूछा। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि उसने केरल मदरसा शिक्षक कल्याण कोष में किसी तरह का कोई योगदान दिया है या नहीं?

केरल हाईकोर्ट के न्यायाधीश ए मोहम्मद मुस्ताक और न्यायमूर्ति कौसर की खंडपीठ ने नागरिक संगठन के सचिव मनोज की ओर से दायर याचिका पर यह आदेश दिया । याचिकाकर्ता के वकील  राजेंद्रन ने हाईकोर्ट में बताया कि अधिनियम को पढ़ने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि यह मदरसे केवल कुरान और इस्लाम से जुड़ी पाठ्य पुस्तकों से जुड़ी शिक्षाएं देते हैं ऐसे में इसके लिए भारी मात्रा में फंडिंग करना पूरी तरह से असंवैधानिक और संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है । 

हाई कोर्ट की पीठ ने यह भी कहा कि यह देखा जा रहा है कि केरल में जो मदरसे  चल रहे हैं वे उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में चलाए जा रहे मदरसों से अलग है जो कि धर्मनिरपेक्षता के साथ-साथ धार्मिक शिक्षा भी देते रहे हैं ।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.