आखिरकार लगभग तीन दशकों की (28 वर्षों ) की लम्बी विधिक कार्यवाही के बाद ,अदालत ने अपने फैसले से इस तथ्य पर मुहर लगा दी कि 6 दिसंबर 1992 को उस ढाँचे को तोड़ने में कोई साजिश षड्यंत्र नहीं था और ये राम भक्तों की तीव्र प्रतिक्रया स्वरूप किया गया धर्म न्याय था | असल में साजिश तो बाबर और उसकी औलादों ने की थी जो पूरे भारत के मंदिरों को तोड़ तोड़ कर अपनी दाढ़ी और बुर्का पहनाने का जेहाद किया था | आज तक उसकी मुगलिया औलादें उसकी मैयत को लिए डोल रही हैं |

अदालत ने सीबीआई द्वारा पेश किये गए सबूतों को बिलकुल ही नाकाफी और संज्ञेय नहीं मानते हुए कहा कि , अख़बार और पत्र ,पत्रिकाओं में छपे चित्रों , आलेखों आदि को विधिक साक्ष्य न मानते हुए अदालत ने इस मुकदमे में आरोपी बनाए गए सभी राजनेताओं ,संतों को बाइजज्त बरी कर दिया |

अभियोजन पक्ष द्वारा लगाए गए आरोप कि “भीड़ जय श्री राम के नारे लगा रही थी ” को बहस में इस प्रकार दरकिनार कर दिया गया कि , जय श्री राम , जय सिया राम , राम राम आदि जैसे नारे नहीं जयकारे तो युगों युगों से लगाए जाते रहे हैं और रामायण सहित अन्य सभी सनातन ग्रंथों में ये वर्णित है कि हनुमान जी ने सीता माता की खोज में , लंका की ओर , जाने से पहले भी ये जयघोष किया था , जय श्री राम |

फैसले पर ख़ुशी जताते हुए , भाजपा के वरिष्टतम राजनेता श्री लालकृष्ण आडवाणी ने भी एक बार जोर से जयकारा लगाया

अब जब इतना बड़ा निर्णय सनातन और राम भक्तों के पक्ष में आया है तो फिर मुगलिया औलादों का स्यापा तो बनता ही है और वो शुरू भी हो गया है लेकिन चलते चलते आपको बताते चलें कि , कांग्रेसी सरकार ने कितनी मक्कारी से हमेशा की तरह हिन्दुओं के प्रति नफरत और बाकी सबके प्रति अपनी चाटुकारिता /पक्षपात और वोट बैंक के लिए ये भी किया हुआ था | देखिये

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