मोदी सरकार है कि हर दूसरे दिन कोई न कोई ऐसा बड़ा फैसला ले रही है , ऐसा बड़ा कदम उठा रही है जिससे ,देश की फ़ौज , अर्ध सैनिक बलों , जांच एजेंसियों व सुरक्षाबलों में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले देश के बेटों को ज्यादा ताकत , ज्यादा हथियार , ज्यादा सुरक्षा और ज्यादा अधिकार दिया जा सके। लेकिन बरसों तक सेना को भी राजनीति का एक हथियार की तरह इस्तेमाल करने वाले , अस्त्र आयुधों की खरीद फरोख्त में दलाली करके धन कमाने वाले कुछ लोगों को ये कभी रास नहीं आ रहा है। वे किसी न किसी बहाने से इसका विरोध कर रहे हैं।
अभी दो दिनों पूर्व ही भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने , उसे प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए , सीमा सुरक्षा बल की जांच , गिरफ्तारी ,ज़ब्ती आदि फौजदारी कार्यवाई के अधिकारक्षेत्र (जो कि राज्य की सीमारेखा से तय किया जाता है ) में संशोधन कर उसे कहीं अधिक तो कहीं कम किया है। जिन राज्यों में अधिक किया गया है वो हैं -पंजाब ,बंगाल और असम। इन सभी में सीमा सुरक्षा बल के अधिकार क्षेत्र को 15 किमी से बढ़ाकर 50 किमी तक कर दिया गया है।
इनमें से पंजाब जो कांग्रेस शासित राज्य होने के कारण इसे राज्य के विषय क़ानून और व्यवस्था में केंद्रीय अतिक्रमण करार देते हुए कांग्रेस कार्यसमिति ने बाकायदा प्रस्ताव पारित करके इसे गलत बताया है और सरकार से इसे वापस लेने की बात भी कही है।
यहां कुछ प्रश्न हैं जिनका उत्तर कांग्रेस को पहले अपने अंदर आत्ममंथन करके देना चाहिए
कांग्रेस व गैर भाजपा शासित राज्य व उनका प्रशासन जिस तरह से सीबीआई ,आयकर ,प्रवर्तन निदेशालय और अब तो नारकोटिक्स भी को केंद्र द्वारा संचालित किए जाने का आरोप लगा कर तरह तरह से उन्हें प्रतिबंधित करने का प्रयास करते रहे हैं वो क्या कम था जो अब सेना फ़ौज रक्षा मामलों में भी यही राजनीति खेली जाएगी
पंजाब जो अभी न सिर्फ राजनैतिक रूप से , बल्कि सामाजिक -किसान आंदोलन और खालिस्तान का बढ़ता प्रभाव , सबसे अस्थिर है , पड़ोस के देश पाकिस्तान से स्मगलिंग द्वारा लाए गए नशे के जखीरे से बर्बादी के कगार पर पहुंचा पंजाब -उड़ता पंजाब बना हुआ है लेकिन सीमा सुरक्षा बल की अतिरिक्त सुरक्षा शक्ति नहीं चाहिए -तर्क अजीब है।
अब सबसे अहम् बात ये कि अधिकार क्षेत्रों में वृद्धि या कमी , एक पूरी प्रक्रिया , सर्वेक्षण और तैनात होने वाले बलों द्वारा प्रेषित अनुशंसाओं पर निर्भर होता है और इन बलों की ये अनुशंसा उस क्षेत्र में घट रहे अपराधों , घटनाओं के आधार पर तैयार की जाती है। रातों रात फैसले लेने की प्रथा कांग्रेसकाल में होती होगी अब ऐसा नहीं है।
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