किसानों के इस तथाकथति आंदोलन में अभी कुछ दिनों पूर्व जब निहंगों ने एक गरीब , निर्दोष दलित सिक्ख की बहुत ही अमानवीय तरीके से निर्मम ह्त्या कर दी तो बहुत से उन लोगों का दर्द भी छलक आया जी खुद कभी इन दर्द देने वालों में शामिल रहा करते थे।
वामपंथी एजेंडे वाले वेब पोर्टल The Wire की कार्यकारी सम्पादक , आरफा खानम ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि -किसी भी धर्म की कोई भी किताब या धर्म ग्रन्थ (फिर चाहे वो कोई आसमानी किताब ही क्यों न हो ) इतनी बड़ी नहीं हो सकती कि उसकी बेअदबी की सज़ा किसी को क़त्ल करके दी जानी चाहिए
अब हमेशा ही अपने मज़हबी कट्टरपन का हरा झंडा थाम कर विष वमन करने वाली आरफा को यह सब लिखते हुए ये ध्यान रहा कैसे नहीं रहा कि दुनिया में आधे से ज्यादा मुसीबतें तो एक ही मज़हबी आसमानी किताब और उसे पढ़कर जिहाद पर निकल पड़े उनके अपने ही भाई चीचा जान लोगों ने तबाही मचा रखी है। और हुआ भी यही। इधर आरफा सबको ये नसीहत दे रही थीं उधर उन्हीं की कौम वाले भाई लोग बांग्लादेश में कुरआन के अपमान किए जाने को मुद्दा बना कर पूरे देश में दंगे फसाद कर रहे थे। बताओ भला
और हो भी क्यों न , भला आरफा खानम जैसी आपा की ये अच्छी अच्छी बात भले ही पूरी दुनिया के सारे जाहिल समझ जाएं लेकिन खुद इनके भाई जान लोगों को कौन और कैसे समझाए।
पश्चिम बंगाल के इंडियन सेकुलर फ्रंट नामक घोर मज़हबी और कट्टरपंथी पार्टी के कर्ता धरता मौलाना पीरजादा अब्बास सिद्द्की जब बाकायदा पूरी सभा को बुला कर बता समझा रहे हैं कि यदि कोई “पवित्र किताब ” का अपमान करता है , बेअदबी करता है तो उसका सर धड़ से अलग कर दिया जाना चाहिए। ऐसा ही कुछ , थोड़े दिनों पहले देश के बड़े नामचीन शायर मुनव्वर राणा ने भी सीना ठोंक ठोंक कर कहा था और बाद में माफ़ी मांगते पाए गए थे।
तो आरफा आपा , आपको सबसे पहले तो ये बात , अब्बास सिद्द्की , आमिर खान , नसीरुद्दीन शाह जैसे तमाम अलबर्ट पिंटू लोगों को समझानी चाहिए क्यूंकि इन्हें ज्यादा जरूरत है इस बात को समझने की। कोशिश करने में हर्ज़ ही क्या है क्यों आपा ???
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