कभी लगाए थे साथ साथ , नारे वो आजादी के
अब खंडहर बचे उस दोस्ती के और बर्बादी के
और इससे अच्छे दिन भला क्या होंगे , कि कभी ढोल ढफली बजा बजा कर , देश के खिलाफ गाने बजाने चीखने चिल्लाने और आजादी आजादी का नारा ए तकबीर लगाने वाले “टुकड़े टुकड़े गैंग ” आज खुद ही टुकड़े टुकड़े होकर एक दूसरे की जलालत और मलामत करने पर उतारू है। कभी जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के वामी काँगी गैंग के पोस्टर बॉय बने कन्हैया कुमार , ने छात्र राजनीति से सीधा वामपंथी सिलेबस में दाखिला लिया , फिर चुनाव लड़े हारे और इसके बाद जब कुछ नहीं मिला तो थक हार कर कांग्रेस का दामन थाम लिया।
इन दिनों वे कांग्रेसी नेताओं की तरह और अपने आदर्श राहुल गाँधी की तरह ही प्रेस वार्ताओं और सार्वजनिक मंचों पर पत्रकारों से उलझते बिफरते हुए वही सब कर रहे हैं जो कांग्रेस समेत विपक्ष के अन्य राजनेता करने में लगे हुए हैं -यानि विशुद्ध रूप की बतोलेबाजी।
कन्हैया का वामपंथ से सीधा कांग्रेसी हो जाना पहले ही कामरेड के लाल सलामियों को नागवार गुजर रहा था और उन्होंने इसके लिए पहले से ही कन्हैया को खूब खरी खोटी सुनाना जारी रखा हुआ है , लेकिन कन्हैया की मुश्किलें इतने भर पर ही नहीं सीमित रही हैं।
अभी हाल ही में पत्रकारों ने जब कांग्रेस के कन्हैया कुमार से उनके पुराने साथी उमर खालिद की बाबत कुछ पूछना चाहा तो कन्हैया उमर का न सिर्फ नाम सुनकर हत्थे से उखड़ गए बल्कि उन्हें अपना दोस्त मानने बताने से भी दरकिनारा कर गए। उन्होंने उल्टा ही पूछने वाले को धमकाने के अंदाज़ में कहा कि -उनके और उमर खालिद के बीच दोस्ती की बात उस पत्रकार से किसने कह दी ??- यानि – ये सब गलत बात है – कन्हैया और उमर खालिद कभी दोस्त नहीं थे।
और हो भी क्यों न ऐसी बात , टुकड़े टुकड़े गैंग के सारे लफंदर और उनके लगुए भगुए , बाद में हुए दिल्ली दंगों -शाहीन बाग़ में की कई अपनी करतूतों और अपराध के कारण आज जेलों में बंद -आजादी आजादी का नारा लगा रहे हैं और थोड़े बहुत कई कारणों से ज़मानत पर भी बाहर हैं। उधर अपनी बतोलेबाजी और सार्वजनिक मंचों पर की गई अभद्र भाषा व व्यव्हार के कारण मोदी और भाजपा विरोधियों के चहेते बने कन्हैया कुमार अब घाघ कांग्रेसी बनने की ओर अग्रसर हैं , उन्हें क्या लेना देना खालिद मियाँ के उमर और नाम पते से।
लेकिन शाहीन बाग़ से लेकर जवाहर लाल नेहरू विश्व विद्यालय तक में इन दोनों के साथ खड़ी और लड़ी , इनकी दीदी सफूरा जरगर को ये बात नागवार गुजरी और उन्होंने ट्वीट करके कन्हैया कुमार को भर भर के लानत भेजी। कन्हैया को बुरी तरह दुत्कारते हुए सफूरा ने कहा कि खालिद को भी अब कन्हैया से आजादी चाहिए और कन्हैया चाहे तो अब भाजपा और आरएसएस का दामन थाम लें। चुनाव का टिकट लेने / जीतने के लिए दर दर भटकने वाले कन्हैया कुमार की भारी जलालत और लानत मलामत से तो अब यही लग रहा है कि टुकड़े टुकड़े गैंग तो आज खुद ही टुकड़े टुकड़े होकर हवा में उड़ गया है।
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