राहुल गांधी और प्रियंका गांधी एक तरह हर वो हथकंडा अपना रहे हैं जिसके जरिये आने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी की नैया पार लग सके, लेकिन उनको पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी जी की कमी निकलाने से फुर्सत मिले तब तो वो पार्टी की मुश्किलें दूर करें, जी हां कांग्रेस के भीतर नेताओं के अर्श से फर्श पर आने की गति कितनी तेज है, इसका सबूत कैप्टन अमरिंदर सिंह के बाद अपनी हताशा जाहिर करने वाले हरीश रावत दे रहे हैं . हालांकि खबरों के मुताबिक दिल्ली में राहुल गांधी से हुई मुलाकात के बाद हरीश रावत ‘ALL IS WELL’ कह रहे हैं, लेकिन ये सुलह कितना सच है कहना मुश्किल है.
दरअसल उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पिछले दिनों अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और हाईकमान पर सवाल उठाए थे. इससे बाद उन्हें दिल्ली तलब किया गया था और हुई बैठक के बाद उनके तेवर थोड़े नरम दिखाई दे रहे हैं . दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात के बात रावत ने कहा कि उत्तराखंड चुनाव के दौरान मैं कांग्रेस पार्टी का चेहरा रहूंगा.
हरीश रावत ने ट्वीट करते हुए पार्टी नेताओं के संगठन पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा कि चुनाव सिर पर होने के बावजूद संगठन एकजुट नहीं नजर आ रहा. उन्होंने कहा, ‘है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर कर खड़ा हो रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है.’ हरीश रावत के इसी ट्वीट के बाद कांग्रेस डैमेज कंट्रोल में जुटी हुई है. इसी कड़ी में शुक्रवार को हरीश रावत समेत उत्तराखंड कांग्रेस के कई नेता दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की. हरीश रावत के बगावती तेवर के बाद कांग्रेस पार्टी में हलचल मच गई और उन्हें तत्काल दिल्ली बुलाया गया. हरीश रावत के अलावा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गणेश गोडियाल, विधायक दल के नेता प्रीतम सिंह और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को भी दिल्ली तलब किया गया था.
खैर, एक बार फिर भले रावत कांग्रेस के सुर में सुर मिलाने लगे हैं लेकिन रावत इसमें कितना कामयाब होंगे, ये तो वक्त बताएगा. लेकिन, इतना तय है कि अगर हरीश रावत को उत्तराखंड कांग्रेस संगठन का सहयोग नहीं मिला, तो यहां भी कांग्रेस की हालत खराब हो सकती है।
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