कहा जाता है कि , कब वक्त बुरा होता है तो , ऊँट की पीठ पर बैठे व्यक्ति की तशरीफ़ भी कुत्ता काट खाता है और जब सितारे पहले ही गर्दिश में चल रहे हों तो फिर पार्टी और पार्टी का झंडा ही क्यूँकर ऊपर फिरता फिरे। 137 साल पहले अँग्रेजों ने अपनी धूर्तता से गुलाम भारत में अपने दाँव पेंच बिठाने के लिए जिस संगठन की स्थापना की थी उसका नाम था -कांग्रेस।
आज सौ साल से भी अधिक का समय गुजर जाने के बाद , स्वाभाविक रूप से कांग्रेस जैसे बड़े और पुराने राजनैतिक दल में भ्रष्टाचार , भाई भतीजावाद , वंशवाद , मौकापरस्ती और तुष्टिकरण आदि तमाम बुराइयों की पराकाष्ठा होने और इन सबमें सुधार या परिवर्तन के प्रयास तो दूर , गाँधी खानदान की चाटुकारिता और गाँधी परिवार की सत्ता में सिर्फ उन्हीं के बने रहने की ज़िद के कारण अब यह पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है।
दशकों ने पार्टी अध्यक्ष पद पर सिर्फ सोनिया राहुल की गैर परिपक्व राजनैतिक जोड़ी के काबिज रहने से , पार्टी के लगभग सभी अनुभवी नेताओं द्वारा पार्टी में चल रही गड़बड़ियों को दूर करने के प्रयास बार बार किए जाने के बावजूद भी , सभी शीर्ष और अनुभवी नेताओं की उपेक्षा और पार्टी से उनका मोहभंग होना , अपने हिन्दू विरोधी , सेना विरोधी , राष्ट्रीयता विरोधी चरित्र बना लेने और उसके परिणाम स्वरूप धीरे धीरे देश की राजनीति से दरकिनार होते जाने आदि ने पार्टी को उतना नुकसान नहीं पहुँचाया -जितना कि घोर अपरिपक्व राहुल गाँधी के भाषणों और वक्तव्यों ने या फिर सोनिया गाँधी द्वारा अपने पुत्र को ही प्रधानमंत्री बनाने के धृतराष्ट्री ख़्वाब ने।
आज पार्टी सोनिया गाँधी की अध्यक्षता में अपनी स्थापना की 137 वीं जयंती मनाने के लिए सभी कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी मुख्यालय में एकत्र हुई थी। किन्तु किस्मत देखिये – ध्वजारोहण के समय , सोनिया गाँधी द्वारा जोर से झटकने के कारण पार्टी ध्वज ही खुलकर नीचे आ गिरा जिसे जैसे तैसे बाद में बाँध कर दोबारा से आरोहित किया गया। इसे देखकर लोगबाग अब यही कहते मजे ले रहे हैं कि –
पार्टी तो खैर कबकी गिर गई थी आज सोनिया गाँधी ने पार्टी के झंडे को भी नीचे गिराकर ये इशारा कर दिया है कि भारत की राजनीती में अब कांग्रेस पार्टी के दिन लद लिए।
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