बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा होने से बिहार के मतदाताओं में गजब ख़ुशी का माहौल बन गया है | उधर राष्ट्रीय(जो अब जिला स्तर तक सिमट गया है ) जनता दल के दो चिरागों द्वारा लोगों की अपेक्षा से उपेक्षा तक के सफर को तय करने के कारण लालू के कुनबे में “डर का माहौल ” चल रहा है |

करना संकट से उदास ,निराश बिहार के लोग अब चुनाव में तेजस्वी और तेजप्रताप की नौटंकी और कमाल के बयानों का मज़ा उठाने की कल्पना कर ही रोमांचित हो उठे हैं | लालू के दोनों लाल , अपने अपने हुनर में माहिर हैं एक बहुरुपिया हैं तो दूसरे बड़बोले |

एक राजा बाबू के गोविंदा की तरह रोज़ फैंसी ड्रेस कम्पटीसन में भाग लेते हैं तो दूसरे जो मंत्री पद के अपने शपथ ग्रहण के दौरान अपेक्षा की उपेक्षा करते रहे , नीतीश सरकार ने जनादेश का बलात्कार किया है , और दिवंगत रघुवंश प्रसाद सिंह राजद के समुद्र में एक लोटा भर है जैसे घनघोर बयान से ,लालू की बची खुची लुटिया को ठीक उसी तरह डूबा रहे हैं जैसे राहुल गाँधी कांग्रेस की |

इस बार का चुनाव राजद के लिए ठीक वैसा ही परिणाम देने वाला बताया जा रहा है जैसे पिछली दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए निकल कर आया था | बल्कि राजद की लालटेन में चारा खा कर किए गए गोबर गैस से उत्त्पन्न तेल के बिलकुल सूख निचुड़ जाने के कारण इस बार लालटेन भक्क से फुंक जाने को तैयार बैठी है |

चुनाव से पहले ही राजद में रहे और राजद के साथ रहे , तमाम पुराने साथियों को दरकिनार करके साइड लगा देने वाले तेजस्वी का कहना है कि उनका मुकाबला सिर्फ भाजपा की मोदी सरकार से है , ठीक वैसे ही जैसे दिल्ली वाले सड़ जी का कभी हुआ करता था (आजकल तो वे झाडू लगाकर मोर बने फिर रहे हैं ) | लालू जेल में बैठे गा रहे होंगे “जियहह हो बिहार के लाला , मेरा सब कुछ ही ख़तम कर डाला |

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