यूँ तो जिस दिन से दिल्ली की सरकार आम आदमी पार्टी के जिम्मे आई है व मुखमंन्त्री पद पर सड़ केजरीवाल जी विराजे हैं उनका सबसे ही मतभेद और झगड़ा रहा है . कभी दिल्ली पुलिस से तो कभी दिल्ली के उपराज्यपाल से और कभी तो सीधे सीधे केंद्र सरकार से . पहले दिल्ली के पूर्व राज्यपाल नजीब जंग से जंग होती रही अब श्री अनिल बैजल के विरोध का बाजा बज रहा है .

असल में खुद को अराजकतावादी कहकर कभी भी धरने प्रदर्शन के लिए सड़क पर बैठ जाने वाले सड़ जी इतने आत्ममुग्ध और स्वकेन्द्रित हैं कि उनकी तो अपने संघर्ष के दिनों के साथी /मित्रों /राजनैतिक सहयोगियों और गुरु अन्ना हज़ारे से भी नहीं बनी और सभी एक एक करके इनसे अलग होते चले गए . तो ऐसे में उपराज्यपाल के पद पर नजीब जंग हों या अनिल बैजल , विरोध मतांतर होना तो आपेक्षित ही है .

बकौल सड़ जी , उनका सारा विरोध और लड़ाई राजधानी दिल्ली और दिल्ली वालों केके अधिकार , उनकी सुरक्षा , संरक्षण , चिकित्सा , शिक्षा आदि की सुनिश्चितता के लिए ही है . मगर जब दिल्ली को दंगों की आग में झोंके के तमाम आरोपी उनके सहयोगी निकलते हैं , कई महीनों सेके दिल्ली को बंधक बना कर बैठे लोगों से उनकी वार्ता विमर्श होता है तो सारी केंचुली उतर जाती है .

विडंबना तो देखिए कि विश्व के कुछ सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शुमार की गई राजधानी दिल्ली की आबोहवा में हर साल पराली के धुएं का ज़हर घोलने वालों के साथ भी सड़ जी की मित्रता दिखाई देने लगती है . सड़ जी के फिलहाल साथ चल रहे सहयोगियों पर भी दर्जनों आपराधिक मुकदमे दर्ज है . कानून व्यवस्था प्रशासन सरकार नीति नियम इन सबके विरोध में खड़ा हर कोई सड़ का स्वाभाविक मित्र है और संवैधानिक पदों पर बैठे तमाम लोग जैसे राज्यपाल , कैबिनेट सचिव , गृहमन्त्री और प्रधानमंत्री तक इनके दुश्मन हैं .

असल में दिल्ली के सड़ जी भारत की राजधानी क्षेत्र के स्वयंभू राजा बनांना चाह रहे हैं , जिसे कोई रोक टोक न सके . जब भी सड़ जी से कोई भूल चूक होगी उनका अपना पर्सनल लोकपाल तुरंत उन्हें निर्दोष घोषित कर देगा . फिर सड़ जी के पास करोड़ों रुपए का मुआवजा देने , फट्ट से सअब कुछ मुफ्त , मुफ्त , मुफ्त वाली स्कीम चलाने और पूरे ब्रह्मांड में पोस्टर बैनर लगवाकर सड़ जी को खुद के गुणगान करने वाले तमाम नैसर्गिक अधिकार प्राप्त हो सकेंगे . अजी हां !

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