बॉलीवुड के मिस्टर परफैक्शनिस्ट , आमिर खान की व्यावसायिक डेडिकेशन इतनी ज्यादा है कि पिछले दिनों अचानक से भारत के एक कट्टर विरोधी के रूप में पहचान बनाने वाला तुर्की देश ही एकमात्र वो जगह मिली सर आमिर खान जी के मन को भाई जहां वे अपनी आगे आने वाली फिल्म लाल सिंह चढ्डा की शूटिंग पूरी कर सकें | अब भारत से कोई देश दुश्मनी निभाए तो इससे आमिर खान और उनकी फिल्म लाल सिंह को क्या ? ? उन्हें तो करोड़ों की कमाई करना है ,धंधा चलाना है |
लेकिन जीनियस लोग ऐसे साधारण काम नहीं करते , ,मल्टैटी टैलेंटेड आमिर खान अपने स्वयं सेवी संगठन पानी (आमिर के टीवी शो सत्यमेव जयते की टीम के साथ महाराष्ट्र में पानी की समस्या को दूर करने हेतु शुरू किया गया NGO ) ने कितने बड़े बड़े झंडे गाड़ दिए दुनिया में वही बता कर तुर्की बेगम को समझाने दिखाने रिझाने गए थे | आखिर जब भारत में रहने में डर लगने लगे तो फिर चीन तुर्की ,पाकिस्तान , उत्तर कोरिया जैसे देशों का सहारा लेना तो वाजिब ही हो जाता है | और इस तरह से कौम का काम भी बन जाता है |
आमिर खान के इस NGO के जैसे ही सलमान खान भी एक NGO चलाते हैं , Being Human | और यही नहीं इनके अलावा शाहरुख ,सैफ आदि भी किसी न किसी स्वयं सेवी संस्था से जुड़ कर समाज के लिए काम करने का दावा/दिखावा करते रहे हैं और अब भी कर रहे हैं | असल में समाज सेवा और जन कल्याण के नाम पर असली खेल कुछ और ही चल रहा है |
ये तमाम स्वयं सेवी संस्थान ,जिनसे ये अभिनेता जुड़े हैं या खुद ही संचालित कर रहे हैं ये इनके लिए डबल फ़ायदा पहुंचाने वाला साधन है | पहला इन स्वयं सेवी संस्थाओं में दान /सहयोग के नाम पर काले धन को सफ़ेद करने का माकूल काम और इस बहाने कर से बचने के रास्ते के रूप में इनका उपयोग किया जाता है वहीँ दूसरी तरफ ,इनके बहाने से ये दिखाने की कोशिश की जाती है कि अमुक कलाकार ने देश समाज लोगों के लिए भी कितना कुछ किया या कर रहे हैं इसलिए यदि ये किसी भी तरह के अपराध , गलत कार्य आदि में पाए जाते हैं तो उस समय ,खुद की बनाई हुई ये छवि डैमेज कंट्रोल का काम करती है |
सलमान खान , स्वयंसेवी संस्था का नाम Being Human | और अब इसके कर्ता धर्ता खुद सलमान के कारनामे किसी से छुपे नहीं हैं | मारपीट ,धमकी , काले हिरन का शिकार , सोते हुए लोगों पर शराब पीकर अपनी गाड़ी चढ़ा देना , हिंदी सिनेमा में अपराध जगत की दोस्ती से खुद को एक डॉन के रूप में स्थापित करना आदि जैसे सेवा करते हुए अक्सर कानूनी शिकंजे में फंसने के बाद लोगों के बीच being human का मंजीरा बजा कर सहानुभूति और समर्थन हासिल किया जाता है |
इन तमाम बातों को यदि सिरे से दरकिनार कर भी दिया जाए तो भी एक बात जो स्पष्ट निकल कर सामने आती है कि सलमान ,आमिर ,शाहरुख और सैफ जैसे बड़े और नामी मुस्लिम कलाकार जिनकी बड़ी फैन फॉलोविंग होने के कारण इनकी कथनी और करनी का बहुत व्यापक प्रभाव पड़ता है ,आखिर क्यों कभी भी -मुस्लिम समाज में छाए कट्टरवाद , अंधविश्वास , अशिक्षा , आपराधिक साँठ गाँठ , सरकार ,प्रशासन, कानून के प्रति द्रोह की भावना , मुस्लिम महिलाओं की दुर्दशा ,हलाला और तलाक जैसी अमानवीय परमपराएँ आदि पर कभी भी किसी को रोकते टोकते नज़र नहीं आते -क्यों ,क्यों , आखिर क्यों ?
हालांकि इसका अपेक्षित उत्तर भी सबको पता है और ये भी अब जगजाहिर है कि सिनेमा में अभिनय करते करते ये तमाम कलाकार भी दोहरे चरित्र और जीवन वाले हो जाते हैं | हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और की तरह | अपनी कौम की कमियों ,समस्याओं ,रूढ़ियों पर एक शब्द भी कहने करने से बचने वाले इन दोगले चरित्र के इन तमाम अभिनेताओं की सारी कलई खुल कर सामने आ जाती है |
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