तुम हंस रहे थे जब वो ‘जन धन अकाउंट’ खोल रहा था।
तुम मजाक उड़ा रहे थे जब उसने ‘मेक इन इंडिया’ की योजना राष्ट्र को समर्पित की!
तुमने भरी संसद में मखौल उडाया जब उसने यूपीआई और डिजिटल पेमेंट सिस्टम लॉंच किया।
तुम खिल्ली उड़ा रहे थे जब वो भारतीय ‘रूपे’ को रिवाइव कर रहा था!
तुमने उसको पागल कहा जब उसने ‘वोकल फॉर लोकल’ का आह्वान किया!
तुम फिर हंस दिये एक और निर्लज्ज हंसी जब उसने ‘आत्मनिर्भर भारत’ का संकल्प लिया!तुमने उसे चोर कहा जब वो एक साथ ‘ढाई’ फ्रंट पर लड़ने को राफेल ला रहा था।
तुम बेशर्मी की हद छू आए जब चीनी राजदूत से रात के अंधेरे में कोई डील करके आए! वही चीन जिसने दुनिया को कोरोना और हमें गलवान का दंश दिया!
20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए क्यूंकि तुम, नीच और निर्लज्ज हंसी हंस रहे थे अपने चीनी आका के साथ!!
उसने अपनी हर दिवाली, अपने परिवार से दूर सैनिकों के साथ मनाई, और तुमने? तुमने सैफई और ताज महोत्सव के नाम पर की अय्याशी. उसने शौचालय बना स्वच्छ भारत का नारा दिया और तुमने? तुमने अमीरों को 50 हजार रूपए महीने की सौगात दी, जिससे कि वो तुम्हारे बारे में झूठ लिख, पढ़, छाप सकें।
तुमने विदेशों में जब गांजा फूंका है तब उसने विमर्श किये, वैश्विक परिदृश्य पर आज वही है। और तुम, तुम कहाँ हो? सिर्फ सांप्रदायिक विद्वेष का राग अलापते रहो।
उसने अमेरिका का लाख दवाब होने पर भी ईरान और रूस का विरोध नहीं किया, तुम अपने परिवार को ही पेलते रह गए।
तुमने कभी किसी नाम पर, कभी किसी नाम पर देश जलाया, दंगे किये, भारत को बदनाम किया। उत्तर और दक्षिण में भेद किया, दूरी बधाई और उसने अटक से कटक तक अखंड भारत का संकल्प लिया है।
ये संस्कारों का फर्क है भिया। तुम परिवार देखो, उसने परिवार की परिभाषा को ही वैश्विक कर दिया। फर्क बहुत साफ है और ये फर्क रहना चाहिए।
उसने आदिवासी महिलाओं को गैस सिलेंडर दिये, कोरोना में खजाने खोल दिये, खुद को ग्लोबल स्टेट्समैन साबित किया।
तुम पप्पू और टोंटी ही रहे!! उसने वो किया जिसके सपने भी तुम नहीं देख सकते। काबिलियत जो नहीं है। उसने फिर से खुद को साबित किया है, बार बार किया है, करता जा रहा है। वो निडर होकर बिना सेकुरिटी के जनता के बीच घुस जाता है। चाय पीता है, पान खाता है, यहाँ तक कि पाकिस्तान में उतर कर दुश्मन के हेलिकॉप्टर में टहल आया है, तुम अपनी सोचो जाहिल पप्पू और टोंटियो!!
उसने बुझा दिये तुम्हारे दिये, खत्म कर दिया तुम्हें और वो खुद प्रदीप्त है एक आकाश में एक सूर्य की मानिंद!! वैश्विक राजनीति का चाणक्य है वो, और तुम!!
आज जनता हंस रही है तुम पर क्यूंकि तुम कहीं से कहीं तक नहीं हो, वो यत्र तत्र सर्वत्र है।महाकाल के मंदिर में वो है, चाय की दुकान पर वो है, रेलवे स्टेशन पर भी दिखता है, पुणे मेट्रो में भी है। वो युक्रेन रूस में है, अकेले युद्ध बंद करता है।
सऊदी से इजरैल तक का इकलौता दोस्त है, और तुम!!वो बाहुबली है – नरेंद्र बाहुबली!! और तुम, हाहा!! तुम टोंटी और पप्पू!!
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