भारत देश को ‘दारुल इस्लाम’ बनाने के लिए जिहादी मशीनरी पूरी जुर्रत से जुटी हुई है। ऐसे में बीते कई सालों से इन बुर्का नशीं मजहबियों ने टोपी के नीचे मौजूद अक्ल का इस्तेमाल करके नई मुहिम शुरू की है। एक सोची-समझी रणनीति के तहत भारत की प्रशासनिक सेवाओं में अब मुस्लिम लोगों की भागीदारी बढ़ाई जा रही है, ताकि 50 साल बाद जब आबादी के हिसाब से हिन्दू समाज के आसपास ये लोग आ जाएं तो निर्णायक लड़ाई लड़ी जा सके।
तुर्क देशों में बैठे आला जिहादी भारत को 2050 तक ‘दारुल इस्लाम’ के तौर पर देखना चाहते हैं, ऐसे में मुसलमानों की आवाज को बुलंद करने के लिए-अहम मौकों पर मजहबी आवाज उठाने के लिए IAS-IPS बनाने की मुहिम में जमकर पैसा खर्च किया जा रहा है। 2017 में 51 मुसलमान प्रशासनिक सेवाओं में भर्ती हुए हैं, 2018 में 28 तो वहीं 2019 के सिविल एग्जाम में कुल 45 में से ज़कात फाउंडेशन के 28 मुस्लिम प्रशासनिक सेवाओं में भर्ती हुए हैं।
1997 में स्थापित ‘ज़कात’ फाउंडेशन नाम से मजहबी मुस्लिम एक संस्था चलाते हैं जिसका उद्देश्य जकात यानी दान का पैसा इकट्ठा करके मुस्लिम युवक युवतियों को प्रशासनिक सेवाओं के लिए ट्रेनिंग दिलवाना होता है। पूर्व प्रशासनिक अधिकारी शाह फैसल ज़कात फाउंडेशन का जाना पहचाना नाम है, जिसके तार ज़ाकिर नायक से जुड़े हुए हैं। शाह फैसल भारत को रेपिस्तान कहता है और पाकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान खान को अपना आदर्श बताता है। अबतक ज़कात फाउंडेशन के बैनर तले कई मुस्लिम युवक-युवतियां प्रशासनिक सेवाओं में आ चुके हैं।
ज़कात यानी आय का दसवां हिस्सा दान इस्लाम में कहा जाता है और अब इस पैसे का इस्तेमाल मजहबी बच्चों को प्रशासनिक तालीम दिलवाने में किया जा रहा है।
कश्मीर के कुपवाड़ा की रहने वाली 23 साल की नादिया बेग ज़कात के पैसों की मदद से प्रशासनिक सेवाओं में भर्ती हुई और 370 के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोकतंत्र का हत्यारा तक कह गई। नादिया बेग लगातार anti-national एलिमेंट्स का ट्विटर पर समर्थन करती रहती हैं।
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