शुक्रवार को मस्जिद में जुम्मे की नमाज के बाद जो हिंसा भड़की उस हिंसा के बारे में पहले कहा गया कि ये विरोध प्रदर्शन अचानक हुआ लेकिन गौर करने वाली बात ये है एक ही समय, एक ही दिन में ये सब बिना किसी प्लान के नहीं हो सकता दरअसल ये सब सुनियोजित साजिश का हिस्सा था. लेकिन इन सबके बीच एक और खतरनाक और बड़ा खुलासा सामने आया है जिसके मुताबिक इस हिंसा में कट्टरपंथियों की भीड़ ने हिंसा में बच्चों को ढाल बनाकर उनका इस्तेमाल किया
साभार-सोशल मीडिया
दरअसल बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर दिये बयान को लेकर कट्टरपंथियों ने पूरे देश को जलाने की कोशिश की थी. पहले बच्चों को हिंसक प्रदर्शन में भेजा गया, उनसे नारेबाजी करवाई गई, उनके हाथों में झंडे और बैनर थमा दिए गए इसके बाद जब पुलिस ने कार्रवाई की तो इन बच्चों को आगे कर दिया गया। दरअसल बच्चों के मन में इस कदर धार्मिक कट्टरता का जहर भरा गया है कि इस्लामिस्टों ने बच्चों से नुपूर शर्मा के पोस्टर पर पेशाव तक करवा दिया. ये वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रयागराज के SSP अजय कुमार ने कहा कि “कुछ लोगों ने नाबालिग बच्चों को आगे कर पुलिस पर पथराव किया।’’ अब आप अंदाजा लगाइए कि इन कायरों ने किस तरह से बच्चों को ढाल बनाकर उनकी आड़ में छिपकर हिंसा फैलाई।
उधर झारखंड की राजधानी रांची में भी कुछ ऐसा ही हुआ जहां प्रदर्शन में 14-15 साल के लड़कों को आगे करके नारेबाजी करवायी गई. इन्हीं बच्चों की आड़ में प्रदर्शनकारी पत्थरबाजी कर रहे थे। इसी दौरान हिंसा में शामिल दो लड़कों की मौत हो गयी. अब उन लड़कों के पिता कह रहे हैं कि हमें नौकरी चाहिए- हमें मुआवजा चाहिए. लेकिन सवाल ये कि ये लोग किस बात का मुआवजा मांग रहे हैं ? आखिर ऐसे हिंसक प्रदर्शन में आपने अपने बच्चे को क्यों भेजा ? क्या एक पिता के तौर पर आप कसूरवार नहीं हैं ? लेकिन ऐसा नहीं है कि यह विलाप और सहानुभूति वाला नाटक पहली बार हो रहा हो। इससे पहले दिल्ली के शाहीन बाग के धरना-प्रदर्शन के दौरान भी इस्लामिस्टों ने महिलाओं और बच्चों को आगे कर इनका इस्तेमाल किया था. बच्चे-महिलाएं शाहीन बाग में धरना प्रदर्शन में सबसे आगे बैठे थे . वहां भी बच्चों का इस्तेमाल ढाल के तौर पर किया गया। ऐसे में साफ दिख रहा है कभी ये कट्टरपंथी हिंसा फैलाने के लिए नौजवान लड़कों का इस्तेमाल करते हैं तो कभी महिलाओं का लेकिन इस बार जिस तरह से इन्होंने छोटे बच्चों के हाथों में पत्थर थमाएं है वो बहुत खतरनाक है !
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