महाराष्ट्र की सियासत में जिस तरह से उठापटक जारी है उससे मालूम होता है कि जल्द ही बीजेपी को खुशखबरी मिल सकती है. सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र में BJP सरकार बनाने की तैयारी में जुट गई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की . सूत्रों के मुताबिक माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए बीजेपी का फॉर्मूला तैयार हो गया है.
वहीं दूसरी तरफ इस पूरे सियासी ड्रामे के बीच कईयों के मन में एक सवाल उठ रहा है कि जो काम महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे ने कर दिया क्या वही काम कांग्रेस पार्टी का कोई नेता कर सकता है, और दूसरा कि कांग्रेस में कौन है एकनाथ शिंदे ?
इसमें सबसे पहला जो नाम हो सकता है वो है सचिन पायलट का. क्योंकि हाल के दिनों में राजस्थान की राजनीति में जिस तरह से सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट आमने-सामने हुए हैं उसमें काफी हद तक सत्ता और संगठन के नजदीक होने की वजह से फायदा अशोक गहलोत को ही मिला है. वहीं दूसरी तरफ सचिन पायलट के अंदर असंतोष भरता ही जा रहा है. दरअसल राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस नेता सचिन पायलट को एक बार फिर से निशाने पर ले लिया है. 2020 में राजस्थान सरकार पर आए सियासी संकट के मद्देनजर अशोक गहलोत ने आरोप लगाया है कि ‘बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और राजस्थान के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट साजिश में मिले हुए थे.’ राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले अशोक गहलोत का ये बयान बेहद चौंकाने वाला है.
राजस्थान की सियासत और गहलोत की दूर की सोच को जानने वाले ये बखूबी समझते हैं कि राजस्थान में अशोक गहलोत के रहते सचिन पायलट को कांग्रेस आलाकमान कभी आगे नहीं बढ़ाएगी. क्योंकि राजस्थान में लंबे समय तक अशोक गहलोत ने मंत्रिमंडल विस्तार को लटकाए रखा. ताकि सचिन पायलट के करीबियों को सरकार में शामिल न करना पड़े. 2018 के विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट ने अपना करिश्मा दिखाते हुए अपने दम पर पार्टी को जीत दिलाई थी। इसके बावजूद उन्हें डिप्टी सीएम का झुनझुना थमा दिया गया और उनके उपर अशोक गहलोत को सीएम के पद से कांग्रेस पार्टी ने नवाजा . इसलिए काफी हद तक जो सियासी तस्वीर उभर कर सामने आ रही है उससे लगता है कि सचिन पायलट के अंदर अब तक जो असंतोष भरा है वो चुनाव के पहले निकल सकता है. क्योंकि एक के बाद एक कई मुद्दों को लेकर संगठन के प्रति सचिन पायलट का गुस्सा मीडिया के सामने आ चुका है .ऐसी स्थिति में क्या ये कल्पना की जा सकती है कि सचिन पायलट शिवसेना के एकनाथ शिंदे की राह पर चल पड़ेंगे ?
वहीं इस बीच दूसरा नाम सामने आता है मनीष तिवारी का जिन्होंने कई मुद्दों पर अपनी ही पार्टी कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया है. हाल ही में मोदी सरकार की अग्निपथ योजना को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार की आलोचना की. लेकिन मनीष तिवारी ने पार्टी लाइन से अलग हट कर सरकार और अग्निपथ योजना का समर्थन करते हुए कहा कि “यह एक ऐसा सुधार है जिसकी बहुत जरूरत है और सही दिशा में सुधार है।” वहीं 26/11 हमले को लेकर भी मनीष तिवारी ने अपनी सरकार पर हमला बोला था. अपनी किताब ‘10 Flash Points; 20 Years’ में उन्होंने लिखा था कि ‘कांग्रेस सरकार ने उस हमले के दौरान सेना के हाथ बांध दिए थे’ .
इसी से समझा जा सकता है कि भले ही ये नेता अभी भी पार्टी में बने हुए हैं लेकिन इनकी पीड़ा और सच को सच कहने का साहस इन नेताओं में है. समय के साथ दिख ही जाती है .क्योंकि कांग्रेस पार्टी में जो गांधी परिवार हुक्म देता है उसी की तामील होती है.
सचिन पायलट और मनीष तिवारी तो बस दो उदाहरण हैं . अंदरखाने में कई नेता हैं जो कांग्रेस की नीतियों से खुश नहीं हैं. इसलिए इसमें कोई संशय नहीं कि कांग्रेस में भी कोई न कोई एकनाथ शिंदे आज नहीं तो कल जरुर खड़ा होगा !
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