90 के दशक में किस तरह कश्मीर में हिंदुओं का नरसंहार हुआ था इससे आज कोई भी देशवासी अंजान नहीं है. किस तरह से कश्मीरी पंडितों के घर में घुसकर उनकी बेरहमी से हत्या की गयी थी, महिलाओं के साथ बलात्कार जैसी घटनाओं को अंजाम दिया था. आज की पीढ़ी को फिल्म कश्मीर फाइल्स के जरिये वो सच्चाई पता चल गई है जिससे अब तक अंजान रखा गया था. उसी फिल्म के एक सीन में दिखाया जाता है कि कैसे बीके गंजू के मुसलमान पड़ोसी ने ही उन कट्टरपंथियों को बताया था कि वे चावल के ड्रम के अंदर छुपे हुए हैं। जिसके बाद की कहानी आप सबको मालूम है. लेकिन आपका ध्यान इस तरफ आकर्षित करना जरुरी है कि उनका पड़ोसी जो सालों तक उनके बीच रहा जिनके बारे में बीके गंजू और उनका परिवार कभी भी ये नहीं सोच सकता था कि एक दिन उनका पड़ोसी ही उनके पीठ पर छुरा भोंकने का काम करेगा. लेकिन ये 90 के दशक में ही नहीं रुका यही सिलसिला आज तक चला आ रहा है .

ताजा मामला उदयपुर का है जहां कपड़े सिलने वाले कन्हैयालाल को उनकी दुकान में घुस कर दो कट्टरपंथियों ने बड़ी ही बेरहमी से मार डाला था. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि कन्हैया लाल को मारने की साजिश उसी के पड़ोस में रहने वाले लोग कर रहे थे. कई दिनों से उसकी दुकान की रेकी हो रही है। उसके पड़ोस में रहने वाला नाजिम और उसकी बिरादरी के कुछ दूसरे लोग उसकी तस्वीर भी व्हाट्सएप ग्रुप पर शेयर करते लिख रहे थे कि इसके दिखते ही इसे जान से मार दिया जाए। यह जैसे ही दुकान खोले इसे छोड़ा न जाए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कन्हैया लाल ने 15 जून को धानमंडी पुलिस थाने में एक शिकायत देकर ये बताया था कि उसे मारने की साजिश रची जा रही है।

वहीं महाराष्ट्र के अमरावती में भी केमिस्ट उमेश कोल्हे की हत्या मामले में उनके पुराने दोस्त युसूफ को गिरफ्तार किया गया है. मृतक के भाई के मुताबिक जिस आरोपी को पुलिस ने पकड़ा है उनमें से एक वेटनरी डॉक्टर यूसुफ है और उसकी उमेश कोल्हे से अच्छी दोस्ती थी। घरवाले उसे 2006-07 से जानते थे। युसूफ पर आरोप है कि उसी ने कोल्हे का पोस्ट संदिग्ध व्हॉट्सग्रुप में शेयर किया था . दूसरे मुख्य साजिशकर्ता इरफान पर ये आरोप है कि उसने पहले मौलाना मुदस्सिर अहमद से उमेश की रेकी करवाई। फिर वेल्डिंग करने वाले शेख इरफान ने मजदूरों को प्लॉन में शामिल करके, उन्हें पैसे देकर हत्या को अंजाम तक पहुंचाया।

जाहिर है कश्मीर नरसंहार को भले ही 30 साल से ज्यादा हो गये. इस बीच आज भी पीड़ितों के जख्म नहीं भरे हैं. वहीं हाल के दिनों में जिस तरह देश के अलग-अलग राज्यों में हिंदुओं की हत्याएं हो रही है चाहे वो उदयपुर हो या अमरावती हर जगह हत्या के पीछ वो लोग शामिल हैं जो सालों तक इनके बीच मौजूद रहकर दोस्ती का चोला ओढ़कर रहते हैं और मौका मिलते ही वही होता है जो 90 के दशक में कश्मीर में हुआ था और आज उदयपुर और अमरावती में हुआ . मतलब 30 सालों में भी कुछ नहीं बदला !

 

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