वामपंथी इतिहासकारों ने भारत के इतिहास को तोड़ मरोड़ने के लिए तमाम तरह के कसीदे गढ़े हैं। तमाम इतिहासकारों ने भारत की संप्रभुता और अखंडता को तार-तार करने के लिए तमाम मुगल शासकों को भारत का नायक बताया है।

वामपंथी इतिहासकारों के सुपर हीरो अकबर को लेकर जिस तरीके से मनगढ़ंत किस्से गढ़े गए हैं वह अपने आप में हास्यास्पद हैं। ‘अकबर द ग्रेट’ को लेकर वामपंथ में तमाम इतिहास के बड़े-बड़े चैप्टर बुने गए और जबरदस्ती हिंदुस्तान के बच्चों को उसका मंघड़ंत सुपर हीरो वाला इतिहास पढ़ाया गया जबकि उसकी सच्चाई कुछ और ही है।

अकबर के बारे में कहा जाता है कि वह आगरा में हर हफ्ते मीना बाजार लगाया करता था जिसमें वह तमाम दुकानदारों व आगरा शहर की औरतों को बुलाता था वह खुद औरत बन कर उनकी खरीद-फरोख्त किया करता था। मीना बाजार के तमाम किस्से अकबर की वासना लोलुप प्रवृत्ति के चरित्र को उजागर करते हैं जहां अकबर खुद औरत बनकर औरतों के बीच घूमा करता था और वासना की दृष्टि से उनकी खरीद-फरोख्त किया करता था।

हर हफ्ते आगरा के मीना बाजार में तमाम हिंदू औरतों की अस्मिता के साथ शहंशाह अकबर खिलवाड़ किया करता था और यदि कोई औरत मुंह खोलने की बात करती थी तब वह उनके परिवार को जान से मारने की धमकी दिया करता था। आखिर क्यों वामपंथी इतिहासकारों ने अकबर के बारे में सही और सच नहीं पढ़ाया? आखिर क्यों हर हफ्ते लगने वाली मीना बाजार के किस्सों की सच्चाई हिंदुस्तान की जनता तक नहीं पहुंचाई गई है? मीना बाजार की तमाम उन हिंदू औरतों को न्याय तब तक नहीं मिलेगा जब तक अकबर की सच्चाई के यह कड़वे किससे भारत के आखिरी आदमी तक नहीं पहुंच जाते हैं।

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