शिक्षा में जब तुष्टिकरण आ जाए तब आने वाला भविष्य बहुत सुनहरा नहीं हो सकता. ऐसा ही हाल खनिज-संपदा से भरे झारखंड में दिख रहा है. दरअसल झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार के आने के बाद राज्य की शिक्षा-व्यवस्था में भी तुष्टिकरण की राजनीति दिख रही है. राज्य में इस्लामिस्टों का हाहाकार चरम पर है . हाल के दिनों में जिस तरह से झारखंड के स्कूलों में कभी मुस्लिम आबादी का हवाला देते हुए रविवार की जगह शुक्रवार को छुट्टी की मांग करने का मामला हो या फिर सामान्य स्कूल को उर्दू विद्यालय का नाम देने का मामला हो । हर दिन ऐसी खबरें झारखंड के अलग-अलग जिलों से सामने आ रही है.
ऐसा ही मामला लोहरदगा जिले से सामने आया है जहां एक सामान्य सरकारी स्कूल को गलत तरीके से उर्दू स्कूल बनाने का खुलासा हुआ है. बीजेपी के स्थानीय सांसद और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री सुदर्शन भगत ने जिला आधारभूत संरचना योजना सलाहकार समिति की बैठक में अधिकारियों को इसकी जांच करने का निर्देश दिया है. किस्को प्रखंड के चरहू गांव में सन् 1940 में खुले सरकारी स्कूल के नाम के साथ बाद में उर्दू शब्द जोड़ दिया गया.
रिपोर्ट के मुताबिक कुछ ग्रामीणों का दावा है कि ये काम साजिश के तहत हुआ है. एक वर्ग विशेष के लोगों की इसमें भागीदारी रही है. कुछ ग्रामीणों ने सांसद से मिलकर इसके प्रमाण भी दिए. साल 1976 में इस स्कूल से प्राइमरी पास होने का सर्टिफिकेट सांसद को दिखाया जिसमें स्कूल के नाम में कहीं भी उर्दू शब्द नहीं है. 1979 के बाद से अचानक स्कूल के नाम में उर्दू जोड़ दिया गया. इसका विरोध कुछ ग्रामीण लंबे समय से करते आ रहे हैं लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. इनका कहना है कि इसी स्कूल के परिसर में एक कमरे में मदरसा चला करता था. धीरे धीरे इस मदरसे के बच्चे स्कूल में ही पढ़ने लगे और फिर स्कूल का नाम भी उर्दू स्कूल कर दिया गया. फिलहाल यहां 300 से अधिक अलग-अलग समुदायों के बच्चे पढ़ते हैं . हालांकि प्रार्थना और अन्य किसी मुद्दे को लेकर फिलहाल कोई विवाद सामने नहीं आया है .
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चरहू के ग्रामीण और पूर्व पंचायत जनप्रतिनिधि धनेश्वर पांडेय सहित अन्य ग्रामीणों ने सांसद को चरहू स्कूल से 1976 में पांचवीं पास करने का अपना सर्टिफिकेट दिखाया. इसमें स्कूल के नाम के साथ उर्दू शब्द नहीं है. प्राथमिक विद्यालय चरहू लोहरदगा लिखा है. धनेश्वर पांडेय ने कहा कि षडयंत्र के तहत बाद में स्कूल के नाम के साथ उर्दू शब्द जोड़ा गया. उन्होंने कई बार इसकी जांच और कार्रवाई करने की मांग पहले भी उठायी है.
बीजेपी सांसद ने कहा कि जब सरकारी स्कूल राज्य सरकार का है तो निश्चित रूप से यह विभाग के संज्ञान में है कि नहीं यह भी सवाल है. आज खासकर इस प्रकार की समस्या पूरे राज्य में है. कहीं प्रार्थना को मुद्दा बनाया जा रहा है तो कहीं एक वर्ग विशेष की तरफ से ड्रेस कोड को लेकर समस्या खड़ी की जा रही है. कभी शुक्रवार और रविवार का मुद्दा खड़ा हो रहा है कि किस दिन छुटटी होनी चाहिए. यह देश और राज्य संविधान के अनुसार चलता है. हमने जिला के अधिकारियों से कहा है कि इसे गंभीरता से लें. अन्यथा पूरे जिले के लिए यह सरदर्द बन सकता है. आज एक जगह का यह मामला है. इसलिए इस समस्या का समाधान होना चाहिए. बता दें कि लोहरदगा जिले में उर्दू नाम से 18 सरकारी स्कूल संचालित हैं. इनमें से कुछ स्कूलों की स्थापना सामान्य विद्यालय के रूप में होने और बाद में इन्हें उर्दू स्कूल बनाए जाने के दावे किए जाते रहे हैं.
ये सही है कि जबसे झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार आई है तब से सूबे की शिक्षण प्रणाली गिरती ही जा रही है । सवाल CM हेमंत सोरेन से पूछना बनता है कि एक के बाद एक तुष्टिकरण की वजह से सूबे की शिक्षा व्यवस्था गर्त में जा रही है लेकिन इस बीच सरकार का रवैया इतना सुस्त क्यों हैं ?
दरअसल इस समय देश में बेहद ही खतरनाक ट्रेंड चल पड़ा है। दिन पर दिन कट्टरता अपने चरम पर पहुंचती जा रही है। इस्लामिस्टों द्वारा चुन-चुनकर हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। इसके अलावा देश के स्कूलों, कॉलेजों में धार्मिक कट्टरवाद का जहर घोलने की कोशिश की जा रही है.जिसे समय रहते सही नहीं किया गया तो तस्वीर बेहद भयावह होगी !
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